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    ईधन ने एयरलाइंस का निकाला 'तेल', राज्यों से वैट घटाने का आग्रह

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    Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

    हवाई किरायों में हुई भारी वृद्धि के लिए विमान ईधन (एटीएफ) पर वैट की ऊंची दरों को जिम्मेदार मानते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों से इस दर को घटाकर चार फीसद पर लाने को कहा है। एयरलाइंस तकरीबन

    नई दिल्ली। हवाई किरायों में हुई भारी वृद्धि के लिए विमान ईधन (एटीएफ) पर वैट की ऊंची दरों को जिम्मेदार मानते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों से इस दर को घटाकर चार फीसद पर लाने को कहा है। एयरलाइंस तकरीबन 9,770 करोड़ रुपये के घाटे से जूझ रही है। उन पर 87,779 करोड़ रुपये के कर्ज की देनदारी बन गई है। कर्ज और घाटे के कारण कुछ एयरलाइंस बंद हो गई हैं। बाकी कई बंदी के कगार पर पहुंच गई हैं। विमानन मंत्री अजित सिंह ने कहा कि राज्यों में विमानन ढांचे के विकास के लिए भी यह जरूरी है।

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    हाल ही में हवाई किरायों में 25 फीसद का तगड़ा इजाफा हुआ है। इसी किराया वृद्धि पर चर्चा के लिए विमानन मंत्री अजित सिंह ने एविएशन उद्योग और राज्यों के विमानन मंत्रियों का एक विशेष सम्मेलन बुलाया था। इसमें अजित ने कहा कि एविएशन टरबाइन फ्यूल यानी एटीएफ पर वैट की ऊंची दरों के कारण एयरलाइंस पर अत्यधिक दबाव बढ़ गया है। विमानन कंपनियों के खर्चो में एटीएफ की हिस्सेदारी 50 फीसद तक है। विभिन्न राज्यों ने एटीएफ पर चार से 30 फीसद तक वैट लगा रखा है।

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    उन्होंने राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि देश के एयरलाइन उद्योग को संकट से उबारने के लिए उन्हें एटीएफ पर वैट दरों को अधिकतम चार प्रतिशत पर सीमित कर देना चाहिए। विमानन मंत्री के मुताबिक, एटीएफ पर वैट घटाने का सीधा असर हवाई यातायात में बढ़ोतरी के रूप में सामने आता है। यातायात बढ़ने से राज्यों में नए हवाई अड्डे बनेंगे, पुराने एयरपोर्ट के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए पैसा आएगा।

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    छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल ने हाल में एटीएफ पर वैट की दर घटाई है। इससे वहां उड़ानें बढ़ गई हैं। अन्य राज्यों को भी इनसे प्रेरणा लेते हुए वैट दरों में कटौती करनी चाहिए। इसका अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ मिलेगा। हवाई यात्र अब समाज के ऊंचे तबके तक सीमित नहीं रही है। लिहाजा राज्यों में विमानन ढांचे का विकास-विस्तार जरूरी हो गया है। यह तभी संभव है जब राज्य सरकारों का सहयोग मिले। इसके लिए एयरलाइनों तथा हवाई अड्डों की लागत घटाने में उनका सहयोग चाहिए। न सिर्फ एटीएफ पर वैट घटाया जाना चाहिए, बल्कि हवाई अड्डों की सुरक्षा, बिजली- पानी व अन्य व्यवस्थाओं का कुछ खर्च भी राज्यों को वहन करना चाहिए।

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    उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने चेन्नई व कोलकाता के अलावा लखनऊ, जयपुर, अहमदाबाद, गुवाहाटी जैसे मझोले व छोटे शहरों के हवाई अड्डों के विकास, प्रबंधन व संचालन के काम में निजी कंपनियों की मदद लेने का निर्णय किया है। अभी इनका स्वामित्व एयरपोर्ट अथॉरिटी के हाथ में रहेगा। चेन्नई व लखनऊ के लिए पात्रता आवेदन (आरएफक्यू) मांगे जा चुके हैं। इस अवसर पर विमानन मंत्रलय में संयुक्त सचिव अशोक कुमार ने कहा कि राज्यों को एटीएफ पर वैट घटाने से हानि कम और लाभ ज्यादा होगा। भारत में एटीएफ के दाम विश्व के अन्य देशों के मुकाबले 60 फीसद तक ज्यादा हैं।