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    नेट न्यूट्रलिटी पर रार बढ़ने के संकेत, फ्लिपकार्ट आई समर्थन में

    By Manoj YadavEdited By:
    Updated: Tue, 14 Apr 2015 03:36 PM (IST)

    क्या मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियों को फेसबुक, ह्वाट्सएप जैसे एप्स के लिए अतिरिक्त शुल्क लेने की इजाजत मिलेगी? यह सवाल अभी से सरकार को भी परेशान करने लगा है। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में छाए ‘नेट न्यूट्रलिटी’ (मोबाइल पर बगैर भेदभाव के इंटरनेट आधारित सेवा देना) के

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। क्या मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियों को फेसबुक, ह्वाट्सएप जैसे एप्स के लिए अतिरिक्त शुल्क लेने की इजाजत मिलेगी? यह सवाल अभी से सरकार को भी परेशान करने लगा है। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में छाए ‘नेट न्यूट्रलिटी’ (मोबाइल पर बगैर भेदभाव के इंटरनेट आधारित सेवा देना) के मुद्दे को केंद्र सरकार को गंभीरता से लेना पड़ा है।

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    संचार मंत्रालय ने पूरे मामले की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की है। इसे एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियां भी इस पूरे प्रकरण में अपने हितों को लेकर लामबंद होने लगी हैं। संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि अभी इस मामले पर अंतिम फैसला लिया जाना बाकी है।

    दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने विभिन्न एप्स पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के मुद्दे पर अपनी सलाह दी है। प्राधिकरण का काम सलाह देना है और इसे लागू करना या नहीं करना मंत्रलय का काम है। यह एक गंभीर विषय है। पूरे मामले पर मंत्रलय के भीतर गठित एक समिति विचार कर रही है। मध्य मई तक इसकी रिपोर्ट आ जाएगी। साथ ही तब तक ट्राई भी अंतिम निष्कर्ष पर पहुंच जाएगा। उसके बाद ही सरकार अंतिम फैसला करेगी। लेकिन इसका पूरा ख्याल रखा जाएगा कि इससे गरीबों और आम जनता के हितों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। सरकार हर किसी को किसी भी भेदभाव के इंटरनेट देने के पक्ष में है।’

    ट्राई ने आम लोगों से मांगे सुझाव
    ट्राई ने गत माह मोबाइल फोन पर अतिरिक्त एप इस्तेमाल पर शुल्क लेने पर सुझाव प्रपत्र जारी किया है। माना जा रहा है कि अगले महीने तक प्राधिकरण इस पर अंतिम राय देगा। नेट न्यूट्रलिटी के पक्ष में अब तक एक लाख से यादा इंटनेट उपयोगकर्ता ट्राई को लिख चुके हैं।


    एयरटेल के जीरो से बढ़ा विवाद

    देश की सबसे बड़ी कंपनी एयरटेल ने जीरो नामक मार्केटिंग प्लेटफॉर्म लांच किया है। इसे नेट न्यूट्रलिटी सिद्धांत के खिलाफ माना जा रहा है। जीरो के आने के बाद ही इस मामले ने तूल पकड़ लिया है।

    फ्लिपकार्ट ने एयरटेल से नाता तोड़ा

    सोशल मीडिया पर नेट न्यूट्रैलिटी यानी नेट की आजादी के लिए चलाई जा रही मुहिम रंग लाई है। इंटरनेट यूजर्स की नाराजगी को देखते हुए ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने एयरटेल जीरो से नाता तोड़ लिया है। सोशल मीडिया पर विरोध को देखते हुए नेट न्यूट्रैलिटी के सपोर्ट में फ्लिपकार्ट ने यह कदम उठाया है। बता दें कि पिछले दिनों फ्लिपकार्ट ने भारती एयरटेल के साथ एक खास डील की थी। इसके तहत एयरटेल जीरो प्लेटफॉर्म पर फ्लिपकार्ट के ऐप को खास अहमियत का प्रावधान था। इस डील को नेट न्यूट्रैलिटी के नियम का उल्लंघन माना जा रहा है।


    फ्लिपकार्ट ने जारी किया बयान
    फ्लिपकार्ट ने कहा कि हम नेट न्यूट्रैलिटी के कॉन्सेप्ट को पूरी तरह से मानते हैं क्योंकि इंटरनेट के कारण ही हमारी पहचान है। पिछले कुछ दिनों से जीरो रेटिंग पर आंतरिक और बाहरी रूप से बहस छिड़ी हुई है। हम इसे मानते हुए कुछ चीजों को लागू कर रहे हैं। कंपनी ने कहा कि हम एयरटेल के नए प्लेटफॉर्म ‘एयरटेल जीरो’ पर नहीं जाएंगे। इसे लेकर एयरटेल के साथ हुए करार को हम तोड़ रहे हैं। हम भारत में नेट न्यूट्रैलिटी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताते हैं।

    आम आदमी पार्टी भी सपोर्ट में
    आम आदमी पार्टी ने भी नेट न्यूट्रलिटी का पक्ष लेते हुए कहा है कि इंटरनेट को आम और खास में नहीं बांटा जा सकता। इंटरनेट पर हर ट्रैफिक के साथ एक जैसा व्यवहार होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो भारत में कभी गूगल, फेसबुक, व्हाट्सएप जैसी कंपनी नहीं विकसित हो पाएगी। आप ने अन्य राजनीतिक दलों से भी आग्रह किया है कि वे इस मुद्दे पर आगे आएं और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए काम करें।

    क्या है नेट न्यूट्रलिटी
    नेट न्यूट्रलिटी का मतलब यह है कि कोई भी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी इंटरनेट सेवा देने में किसी भी एप के साथ कोई भेदभाव नहीं करेगी। यानी मोबाइल फेसबुक, ह्वाट्सएप या इस तरह के ही भारत में विकसित किसी अन्य एप में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। लेकिन पिछले कुछ समय से भारत समेत दुनिया के कई देशों के मोबाइल ऑपरेटर कुछ खास एप्स के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाने के संकेत दे रही हैं। यानी हो सकता है कि एयरटेल फेसबुक इस्तेमाल करने पर अपने ग्राहक से अतिरिक्त शुल्क ले ले। लेकिन फेसबुक जैसे किसी भारतीय एप के इस्तेमाल से कोई शुल्क न ले।

    दूरसंचार ऑपरेटरों का कहना है कि चूंकि एप देने वाले उनके नेटवर्क, स्पेक्ट्रम और ढांचागत सेवा का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए कंपनियों को फीस वसूलने की छूट होनी चाहिए।

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