पूरी तरह से खत्म होगी स्पेक्ट्रम की किल्लत
दूरसंचार उद्योग में एक कहावत प्रचलित है कि इस क्षेत्र की कंपनियों को चाहे जितना भी स्पेक्ट्रम दे दो, इनके लिए कम पड़ जाता है। लेकिन राजग सरकार एक तरह से इस कहावत को गलत ठहराने की व्यवस्था करने की मंशा बना चुकी है। दूरसंचार विभाग की योजना रंग लाई
नई दिल्ली। दूरसंचार उद्योग में एक कहावत प्रचलित है कि इस क्षेत्र की कंपनियों को चाहे जितना भी स्पेक्ट्रम दे दो, इनके लिए कम पड़ जाता है। लेकिन राजग सरकार एक तरह से इस कहावत को गलत ठहराने की व्यवस्था करने की मंशा बना चुकी है। दूरसंचार विभाग की योजना रंग लाई तो अगले दो वर्षो के भीतर मोबाइल ऑपरेटरों को इतना ज्यादा स्पेक्ट्रम दे दिया जाएगा कि उन्हें लंबे समय तक अतिरिक्त स्पेक्ट्रम की जरूरत नहीं होगी। आने वाले दिनों में खास तौर पर कंपनियों को 700 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज और 2300 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराने पर जोर होगा।
दूरसंचार सचिव राकेश गर्ग ने दैनिक जागरण को बताया कि स्पेक्ट्रम की उपलब्धता अब ज्यादा दिनों तक समस्या नहीं रहेगी। यह फैसला कर लिया गया है कि जैसे ही दूरसंचार विभाग के पास रक्षा मंत्रालय की तरफ से या किसी अन्य विभाग से या किसी अन्य व्यवस्था से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम का इंतजाम होगा, उसे बगैर किसी देरी के नीलाम कर दिया जाएगा। अगर सब ठीक रहा तो दो वर्षो के भीतर देश की संचार कंपनियों को इतना ज्यादा स्पेक्ट्रम मिल जाएगा कि उन्हें कई वर्षो तक इसकी जरूरत नहीं होगी। रक्षा मंत्रालय से और ज्यादा स्पेक्ट्रम लेने की कोशिश अब भी जारी है। वैसे, पिछले महीने की नीलामी के बाद कंपनियों के पास काफी स्पेक्ट्रम आ चुका है। लेकिन इन कंपनियों को और ज्यादा स्पेक्ट्रम की जरूरत पड़ेगी।
सरकार ने पिछले महीने 800, 900, 1800 और 2100 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम की ही बिक्री की है। लेकिन अगले दौर में दूरसंचार मंत्रालय 700, 900 और 2300 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम को भी उपलब्ध कराने पर खास जोर देगा। दरअसल इन तीनों श्रेणी के स्पेक्ट्रम के जरिये दी जाने वाली सेवाओं को लेकर नई तकनीकी का इजाद हुआ है, जिससे इनका इस्तेमाल डाटा सेवाओं में होने के आसार बढ़े हैं। मसलन, 900 मेगाहर्ट्ज का उपयोग अभी तक सिर्फ 2जी मोबाइल सेवा के लिए हो रहा था, लेकिन अब इसका 3जी समेत अन्य दूरसंचार सेवाओं में भी इस्तेमाल होने लगा है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में 2300 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को लेकर भी कई नई टेक्नोलॉजी आने वाली हैं। इसके लिए भी भारतीय संचार कंपनियों भारी बोली लगा सकती हैं।
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