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    भावे का पलटवार, मूर्खतापूर्ण कार्रवाई कर रही सीबीआइ

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    Updated: Thu, 20 Mar 2014 09:11 AM (IST)

    पूर्व नौकरशाहों और केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश का समर्थन मिलने के बाद सेबी के पूर्व चेयरमैन सीबी भावे ने भी अब सीबीआइ पर पलटवार किया है। स्टॉक एक्सचेंज एमसीएक्स-एसएक्स को लाइसेंस दिए जाने के मामले में उनके खिलाफ जांच शुरू करने वाली सीबीआइ को हमलावर तेवर दिखाते हुए भावे ने कहा कि एजेंसी मूर्खतापूर्ण तर्को के आधार

    मुंबई। पूर्व नौकरशाहों और केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश का समर्थन मिलने के बाद सेबी के पूर्व चेयरमैन सीबी भावे ने भी अब सीबीआइ पर पलटवार किया है। स्टॉक एक्सचेंज एमसीएक्स-एसएक्स को लाइसेंस दिए जाने के मामले में उनके खिलाफ जांच शुरू करने वाली सीबीआइ को हमलावर तेवर दिखाते हुए भावे ने कहा कि एजेंसी मूर्खतापूर्ण तर्को के आधार पर कार्रवाई कर रही है।

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    सीबीआइ इस तथ्य की भी उपेक्षा कर रही है कि कुछ साल पहले आयकर विभाग की जांच में इन आरोपों को आधारहीन पाया गया था। आने वाले दिनों में अपनी ओर से कुछ खुलासों का संकेत देते हुए भावे ने आरोप लगाया कि सीबीआइ चुनकर निशाना बना रही है।

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    वर्ष 2008 में एमसीएक्स-एसएक्स को लाइसेंस दिए जाने और वर्ष 2009 और 2010 में इसका नवीनीकरण किए जाने के मामले में सीबीआइ ने भावे और सेबी के तत्कालीन सदस्य केएम अब्राहम के खिलाफ प्राथमिक जांच (पीई) शुरू की है। वर्ष 1975 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आइएएस अधिकारी रहे भावे ने कहा कि यदि सीबीआइ के पास कोई सुबूत है तो उनके खिलाफ जांच की जानी चाहिए। लेकिन यदि जांच में कुछ गलत नहीं पाया गया तो उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने को लेकर सीबीआइ को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी होगी।

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    एजेंसी ने इस आधार पर जांच शुरू की है कि स्टॉक एक्सचेंज के लिए आवेदन करने वाली कंपनियों के खिलाफ आयकर विभाग की जांच जारी होने के बावजूद एमसीएक्स-एसएक्स को लाइसेंस दिया गया। सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा ने हाल ही में प्रतिक्रिया दी थी कि अभी सिर्फ प्राथमिक जांच शुरू की गई है। इस पर भावे ने कहा, 'उनका कहना है कि अभी तक कोई छापेमारी या गिरफ्तारी नहीं हुई है। क्या हमें छापे या गिरफ्तारी का इंतजार करना चाहिए?'

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    पूर्व सेबी चेयरमैन ने कहा कि एमसीएक्स के प्रमोटर जिग्नेश शाह के खिलाफ तब आयकर विभाग की जांच में कोई आरोप साबित नहीं हुआ था। सीबीआइ की यह परिकल्पना गलत है कि शाह को कोई अनैतिक लाभ दिया गया। अपने कार्यकाल में भावे ने लीक से हटकर कई बड़े कदम उठाए थे। उनके खिलाफ कार्रवाई को लेकर केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश और कई पूर्व नौकरशाहों ने सीबीआइ को आड़े हाथों लिया है। मंगलवार को रमेश ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई से सार्वजनिक क्षेत्र में निर्णय लेने की क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। उनकी ईमानदारी के प्रधानमंत्री भी कायल हैं। रमेश ने जांच एजेंसी की कार्रवाई को दुखद और जुल्म ढाने वाला करार दिया था। वहीं, पूर्व गृह सचिव और एमसीएक्स-एसएक्स के पूर्व चेयरमैन जीके पिल्लई ने कहा था कि नियामकीय मामलों में किसी अधिकारी के खिलाफ व्यक्तिगत कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। इससे पहले पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय और पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त एन विट्ठल ने भी सीबीआइ की कार्रवाई पर कड़ा ऐतराज जताया था।