शिक्षक दिवस स्पेशल: सिनेमा के इन टीचरों को कभी भुलाया नहीं जा सकता
आज हम आपको बताएंगे सिनेमा जगत के यादगार शिक्षको के बारे में जिन्होंने अपने संजीदा किरदारो से समाज को शिक्षा का संदेश दिया है।
हर व्यक्ति के जीवन में शिक्षक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए हमारे सिनेमा में भी इस भूमिका की झलक देखी जाती है। आज हम आपको बताएंगे सिनेमा जगत के यादगार शिक्षको के बारे में जिन्होंने अपने संजीदा किरदारो से समाज को शिक्षा का संदेश दिया है।
तारे ज़मीं पर
एक फिल्म जो दिखाती है कि एक टीचर मज़बूत इरादे के साथ अपने छात्र की जिंदगी को किस तरह बदल सकता है। आमिर और दर्शील सफारी की जोड़ी को देखकर थिएटर में बैठे लोगों के आंसू रुकने को तैयार नहीं थे।
इक़बाल
एक लड़का जो क्रिकेट के लिए पागल लेकिन न देख सकता है, न सुन सकता है। श्रेयस तलपड़े और नसीरुद्धीन शाह अभिनीत इस फिल्म ने कई लोगों को उम्मीद दिखाई थी कि नामुमकिन कुछ भी नहीं है।
ब्लैक
एक बच्ची जिसे दिखाई नहीं देता है लेकिन उसके टीचर ने उसे ऐसी राह दिखाई जिसे उसने जिदंगी भर नहीं छोड़ा। बाद में उसी बच्ची ने अपने टीचर को अलज़ायमर की बीमारी के वक्त साथ दिया। रानी और अमिताभ बच्चन की इस फिल्म ने काफी तारीफें बटोरी थीं।
3 इडियट्स
एक हल्की फुल्की, मजे़दार फिल्म जो अपने आप में एक गहरा संदेश लेकर आती है। इस फिल्म के ज़रिए दिखाया गया है कि ग्रेड्स से नहीं कुछ नया करने और खोजने की धुन आपको आगे लेकर जाती है।
आरक्षण
शिक्षा में फैलते भ्रष्टाचार पर आधारित इस फिल्म को प्रकाश झा ने बनाया था और अमिताभ बच्चन ने इसमें डॉ प्रभाकर आनंद की भूमिका निभाई थी, एक प्रिसिंपल जो अपने आदर्शों के साथ समझौता नहीं करता।
जागृति
1954 में बनी यह फिल्म बताती है कि अच्छी शिक्षा देने के लिए लीक से हटकर तरीकों को सोचने की जरूरत है। मुख्य भूमिका में अभि भट्टाचार्य थे जिन्होंने दिखाया कि किस तरह एक शिक्षक अपने छात्रों को एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करता है।
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