शिक्षक दिवस स्पेशल : शिक्षक को असली पहचान शिष्य ही दिलाता है
यह कहना गलत नही होगा कि शिक्षक को पहचान शिष्य ही दिलाता है। अपने देश और कोच का नाम रोशन करके ऐसे शिष्यों ने अपने गुरू को असली गुरु दक्षिणा दी है।
हमेशा शिक्षको ने अपने शिष्यों के जीवन में फैले अज्ञान के अंधरे को खत्म कर ज्ञान का प्रकाश फैलाया है। चाहे बात सचिन के कोच रमाकांत अचरेकर की हो या पुलेला गोपीचंद की या फिर कोहली के कोच राजकुमार शर्मा की, इन्ही गुरूओं के कारण हमें सचिन, विराट और पीवी सिंधू जैसे खिलाड़ी मिले हैं।
लेकिन ये बात भी सच है कि इन गुरूओ को असली पहचान दिलाने वाले भी इन्ही के शिष्य हैं। सचिन के टेलेंट ने ही रमाकांत अचरेकर को पहचान दिलाई। विराट कोहली के असाधारण खेल ने ही राजकुमार शर्मा का नाम दुनिया के सामने रोशन किया। वहीं बात की जाए साइना नेहवाल और पीवी सिंधू जैसी स्टार खिलाड़ी बनाने वाले पुलेला गोपीचंद की तो, इन्हें भी असली पहचान इनके शिष्यों ने ही दिलाई है।
क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के गुरू रमाकांत अचरेकर का मानना था कि उनके शिष्य जैसा दूसरा कोई नहीं है। बात सही भी है सचिन ने अपने खेल से पूरे देश का नाम रोशन किया है। इसलिए दुनिया का प्रत्येक गुरु चाहेगा कि उसका शिष्य सचिन तेंदुलकर जैसा हो।
पूर्व प्रथम श्रेणी क्रिकेटर और विराट कोहली के कोच राजकुमार ने हाल ही मे कहा था कि मुझे अब भी वह दिन याद है जब 10 साल का विराट मेरे कोचिंग शिविर में आया था। आज भारतीय कप्तान के रूप में जब वह नेट सत्र के लिए आता है तो मुझे कोई अंतर नजर नहीं आता। वह मेरे लिए अब भी वही पुराना छोटा विराट है। उसके लिए कुछ नहीं बदला।
अगर बात की जाए गोपीचंद की तो उन्होंने भी एक निजी चैनल को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि 'सिंधु ने ओलिंपिक के सभी मैचों में, एक कंसिसटेंट परफॉ़र्मेंस दिया। अपने इस प्रदर्शन की वजह से उन्होंने भारत के लिए ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की है. मैं और सब लोग काफी खुश है।'
इसलिए तो यह कहना गलत नही होगा कि शिक्षक को पहचान शिष्य ही दिलाता है। अपने देश और कोच का नाम रोशन करके ऐसे शिष्यों ने अपने गुरू को असली गुरु दक्षिणा दी है।
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