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    बदले गुरु-शिष्य संबंध

    By Rahul SharmaEdited By:
    Updated: Sun, 04 Sep 2016 09:14 AM (IST)

    गुरु-शिष्य के इस फ्रेंडली कल्चर की झलक काफी हद तक उच्च एवं तकनीकी शिक्षण संस्थानों में देखने में आती है। फिर चाहे वे जिस फैकेल्टी से जुड़े हों।

    शिक्षा देने वाले गुरु के मायने बदल गए हैं। गुरु अपने विद्यार्थी के साथ दोस्ताना व्यवहार भी रखने लगे हैं। गुरु-शिष्य के इस फ्रेंडली कल्चर की झलक काफी हद तक उच्च एवं तकनीकी शिक्षण संस्थानों में देखने में आती है। फिर चाहे वे जिस फैकेल्टी से जुड़े हों।

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    इस फ्रेंडली माहौल को क्रिएट करने में सोशल मीडिया ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ‘शिक्षक और छात्र सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए पहले से कहीं अधिक संपर्क में रहने लगे हैं,’ कहते हैं प्रो. सुधीर कुमार बरई।

    इंटरनेट के चलते गुरु और शिष्य हर समय एकदूसरे से कनेक्ट रह सकते हैं। कम्युनिकेशनल शेयरिंग के बढ़ने से गुरु-शिष्य के बीच कम्युनिकेशन गैप अब नहीं रहा। इसका श्रेय तकनीक का विकास है। गुरु अब प्रशिक्षक, तो शिष्य प्रशिक्षु दोस्त की भूमिका में आ गए हैं। स्मार्ट हो गए हैं वे और अपने टीचर से क्विक रिस्पांस चाहते हैं। पहले की तरह गुरु के सामने दुबके नहीं रहते हैं। छोटी सी बात को जानने के लिए झिझक अब उनमें नहीं होती। आज शिष्य मल्टीटास्कर हैं, तो गुरु भी कम नहीं हैं।

    गुरु भी अब पहले जैसे सख्त नहीं रहे, नजरिया बदल गया है। अब न शिष्य अपने शिक्षक से घबराते हैं और न शिक्षक शिष्य पर दबाव बनाकर शिक्षित करते हैं। गुरुशिष्य परंपरा में यह नया दौर शुरू हो गया है। इस संबंध में अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर विनय कुमार पाठक कहते हैं, ‘आज यदि गुरु-शिष्य के बीच मित्रवत संबंध हो रहे हैं तो यह गलत नहीं है। फ्रेंडली माहौल में स्टूडेंट की ग्रोथ भी अच्छी होती है। इस परंपरा से बच्चों में न सिर्फ गुरु के प्रति एक नई सोच उत्पन्न होगी, बल्कि पढ़ाई को लेकर उनका डर भी खत्म होगा।’

    टीचर और स्टूडेंट के रिलेशन पर लेखिका रश्मि बंसल के विचार आज के शैक्षिक परिवेश से काफी मेल खाते हैं। वह कहती हैं, ‘नए दौर के शिक्षक भी मेंटर और गाइड की भूमिकाओं को सहर्ष स्वीकारने लगे हैं, ताकि छात्रों के टैलेंट को निखरने का अ्रवसर मिल सके।’ आधुनिक तकनीकी युग में गुरु-शिष्य संबंधों में आदर भाव के साथ ही मित्रवत भाव भी आ गया है।

    मलय बाजपेयी
    इनपुट: अंशु सिंह, कुसुम भारती

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