बच्चों के बारे में कहीं आप भी तो नहीं सोचते ऐसा
बच्चों के पालन पोषण से संबंधित घर-घर में व्याप्त हैं बहुत से भ्रम। इनके विषय में हकीकत जानकर आप अपने नन्हें-मुन्ने की बेहतर देखभाल कर सकती हैं।
1. भ्रम
समय से पहले जन्मे या कमजोर बच्चों का पहला
टीकाकरण कुछ समय रुककर उनका वजन बढऩे के बाद ही करवाना चाहिए?
हकीकत
आधुनिक शोधों से सिद्ध हुआ है कि इन कमजोर शिशुओं को भी टीकाकरण का फायदा उतना ही होता है व उनको अतिरिक्त 'साइड इफेक्ट' नहीं होता। इन कमजोर शिशुओं को तो टीकाकरण की सुरक्षा और अधिक चाहिए। इसलिए अस्पताल से छुट्टी के समय इनका टीकाकरण अवश्य कराएं।
2. भ्रम
बच्चे को बुखार या खांसी/जुकाम के समय टीकाकरण नहीं कराना चाहिए।
हकीकत
बच्चों को हल्का बुखार या खांसी आदि अक्सर ही हो जाती है, किंतु इसकी वजह से टीकाकरण में रुकावट नहीं आनी चाहिए। बच्चे को इससे कोई नुकसान नहीं होगा। केवल तेज बुखार या
न्यूमोनिया आदि में ही इसे देने से परहेज करें।
3. भ्रम
छह महीने की उम्र में बच्चे को केला, जूस या दाल का पानी देने से शुरुआत करनी चाहिए, जो कि पचाने में आसान हो।
हकीकत
शिशु का ऊपरी खानपान सदैव अन्न से शुरू करें। गेहूं का पतला दलिया या चावल/सूजी की खीर बेहतर विकल्प है।
इस समय पर अन्न की आदत डालनी आवश्यक है, क्योंकि बढ़ते बच्चे की शारीरिक जरूरतों को यही पूरा करने में सक्षम हंै। हां, दाल का पानी ही
नहीं, दाल के दाने भी कूटकर अवश्य दें।
4. भ्रम
बच्चे को गाय का दूध देना चाहिए, जिससे उसे पोषण मिले।
हकीकत
घर-घर में व्याप्त इस सोच को तोडऩा बहुत जरूरी है। गाय के दूध के निरन्तर सेवन से बच्चे में आयरन, कैल्शियम आदि की भयंकर कमी हो जाती है व बच्चा कुपोषित होता है। इसलिए छह माह के उपरांत स्तनपान के साथ-साथ भैंस का
दूध (बिना पानी मिलाए) शुरू करें। इस समय पर ध्यान दूध पर कम और ठोस आहार देने पर अधिक केंद्रित करें।
5. भ्रम
बच्चे को डायपर पहनाए रखने से वह सूखा व चुस्त बना रहता है और रात को नींद भी अच्छी आती है।
हकीकत
यह सोच गलत है। डायपर के अत्यधिक इस्तेमाल से बच्चे की कोमल त्वचा पर पेशाब की परत का कुप्रभाव पड़ता है। इसे 'डायपर डर्माटाइटिसÓ कहते हैं, इसलिए इनका इस्तेमाल कम से कम व बाहर ले जाने के समय करना बेहतर है। ऐसे
में भी डायपर पहनाने से पहले रैश-क्रीम लगाकर आप बच्चे की त्वचा को पेशाब की परत के संपर्क में आने से बचा सकती हैं।
6. भ्रम
बच्चों को बोतल से दूध देने से वह संतुष्ट होकर सो जाता है व उसका वजन भी अच्छा बढ़ता है।
हकीकत
रिसर्च द्वारा सिद्ध हो चुका है कि बोतल के दूध पर पले बच्चों में भविष्य में मोटापा होने की संभावना अधिक होती है, जो कि सेहत के लिए खराब है। बोतल द्वारा बच्चों में डायरिया,
खांसी, कान के संक्रमण आदि होते हैं जिससे वे सही ढंग से पनप नहीं पाते। ये इन्फेक्शन बोतल उबालने के बावजूद होते हैं। इसलिए मां का दूध ही सर्वोत्तम है।
7. भ्रम
बच्चों की आंखों में काजल लगाने से उसकी आंखें बड़ी होती हैं व सुंदर लगती हैं।
हकीकत
यह सोच गलत है। काजल लगाने से आंखें बड़ी होना हास्यास्पद है। काजल से बच्चों की आंखों में अनेक इन्फेक्शन हो जाते हैं, जो कि गंभीर भी हो सकते हैं, अत: इससे परहेज करें।
8. भ्रम
बच्चों को फिल्टर किया हुआ पानी देने से उनकी अपनी प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है व बच्चे जल्दी बीमार पड़ते हैं।
हकीकत
बच्चों को होने वाले अधिकतर रोग गंदे पानी के सेवन से होते हैं, इसलिए हमें इस सोच से बाहर निकलकर बच्चों के लिए साफ पानी सुनिश्चित करना चाहिए। पीने का पानी उबालकर या फिल्टर करके ही दें।
9. भ्रम
बच्चों को बीमारी के समय नहलाना नहीं चाहिए। इससे उनका बुखार या जकडऩ और बढ़ सकती है।
हकीकत
बच्चों को नहलाने से घबराएं नहीं। नहलाने और साफ-सफाई रखने से बच्चे का भला ही होगा और बुखार भी उतरेगा। नहलाने से जकडऩ नहीं बढ़ती। इसलिए बुखार में सादे पानी से पट्टी करने व नहलाने से परहेज न करें।
डॉ. सी. एस. गांधी
नवजात शिशु व बाल रोग विशेषज्ञ