क्या आपका बच्चा भी नींद में हंसता है?
घर के बड़े बुर्जुगों का कहना है कि बच्चे सोते समय अपने पूर्व जन्म की बातें याद करते हैं और इसी वजह से वे कभी रोते हैं तो कभी मुस्कुराते हैं।
अकसर छोटे बच्चे नींद में मुस्कुराते हैं तो कभी रोने भी लगते हैं। उनकी इस मुस्कुराहट को देखकर उनके माता-पिता फूले नही समाते। घर के बड़े बुर्जुगों का कहना है कि बच्चे सोते समय अपने पूर्व जन्म की बातें याद करते हैं और इसी वजह से वे कभी रोते हैं तो कभी मुस्कुराते हैं। लेकिन ये एक अवधारणा है या वाकई ऐसा होता है, आखिर क्या है इसकी सच्चाई?
मम्सनेट.कॉम के अनुसार वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पूर्व जन्म का नही बल्कि शिशु के भावनात्मक विकास से जुड़ा घटनाक्रम है। क्योटो यूनिवर्सिटी (जापान) के रिसर्च इंस्टिट्यूट और सैकर्ड हार्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि पहले यह माना जाता था कि 4 माह की उम्र पार करने के बाद ही शिशु मुस्कुरा पाने में सक्षम होता है, लेकिन शोध के दौरान यह देखा गया कि मात्र 17 दिन का बच्चा भी रोने के साथ-साथ मुस्कुरा सकता है।
4 दिन से लेकर 87 दिल तक के बच्चे पर किए गये रिसर्च के अनुसार इस समय में बच्चों में मानसिक और भावनात्मक विकास काफी तेजी से होता है। इसी वजह से सोते जागते समय शिशु इस प्रकार का व्यवहार करता है। सर्वेक्षण के नींद में मुस्कुराना ही हंसने की शुरुआत होती है। सर्वेक्षण में देखा गया कि मात्र 17 दिन की बच्ची नींद में मुस्कुराने लगी और धीरे-धीरे उसकी मुस्कुराहट खिलखिला कर हंसने में बदल गयी।
इन सर्वेक्षणों से ये बात प्रमाणित हुई है कि जागने के साथ-साथ बच्चों की नींद में भी भावनात्मक विकास होता है इसलिए वे नींद में कभी-कभार हंसने या मुस्कुराने लगते हैं और कभी-कभी जोर-जोर से रोने भी लग जाते हैं। इन सर्वेक्षणों से ये बात प्रमाणित होती है कि नींद में हंसना या रोना पिछले जन्म की घटनाओं से कोई लेना-देना होता है। यह महज बच्चों के मानसिक और शारिरिक विकास की एक क्रिया है।