चारा घोटाले के चार मामलों में बढ़ीं लालू व जगन्नाथ की मुश्किलें
पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा के लिए चारा घोटाले के चार मामलों में मुश्किलें बढ़ गई हैं।

बिजय कुमार ठाकुर, रांची। सुप्रीम कोर्ट से झटका लगने के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा के लिए चारा घोटाले के चार मामलों में मुश्किलें बढ़ गई हैं। इन दोनों के खिलाफ रांची स्थित सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत में अलग-अलग चार मामलों की सुनवाई चल रही है। इन मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। एक बार फिर से लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र को इन मामलों में ट्रायल से गुजरना होगा। चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 64ए/96 में बहस पर है, जबकि अन्य तीन मामलों में गवाही की प्रक्रिया चल रही है।
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ये मामले हैं विचाराधीन :
चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 38ए/96 का मामला दुमका कोषागार से करीब 3.90 करोड़ रुपये अवैध निकासी से जुड़ा है। आरसी 47ए/96 का मामला डोरंडा कोषागार से करीब 184 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से संबंधित है। आरसी 64ए/96 का मामला देवघर कोषागार से करीब 97 लाख रुपये की अवैध निकासी से संबंधित है जबकि आरसी 68ए/96 का मामला चाईबासा कोषागार 33 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है। निकासी को लेकर रांची स्थित सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत में मामला विचाराधीन है।
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आरसी 20ए/96 में हो चुकी है पांच वर्ष की सजा
चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 20ए/96 चाईबासा कोषागार से 37.70 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़े मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को तीन अक्टूबर 2013 को पांच वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। साथ ही 25 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया था। इसके पूर्व उन्हें 30 सितंबर 2013 को सीबीआइ की विशेष कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेज दिया था। सजा सुनाए जाने के बाद लालू प्रसाद यादव को रांची स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में रहना पड़ा था। बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। पांच वर्ष की कठोर सजा सुनाए जाने के बाद से ही उनका राजनीतिक करियर भी समाप्त हो गया था।
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इन धाराओं में सुनाई गई थी सजा :
लालू प्रसाद यादव को 30 सितंबर 3013 को भादवि की धारा 120 बी, 467, 420, 409, 468, 471, 477ए और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 3(2) रेड विथ 133(1)(सी)(डी) के तहत सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने दोषी पाया था। उक्त धाराओं में तीन अक्टूबर 2013 को अदालत ने उन्हें सजा सुनाई थी।
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सीबीआइ विशेष कोर्ट से खारिज हो चुका था आवेदन
सीबीआइ विशेष कोर्ट ने चार मामलों में लालू की याचिका खारिज की थी। चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 20ए/96 से जुड़े मामले में फैसला सुनाए जाने के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के अधिवक्ता ने संबंधित चार मामलों में अलग-अलग आवेदन दाखिल कर अन्य मामलों से उन्हें मुक्त करने की मांग की थी। लालू की ओर से सीबीआइ विशेष कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 300 के तहत आवेदन देकर मांग की गई थी कि उन्हें चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 20ए/96 में सजा सुनाई जा चुकी है। एक ही आरोप में दो बार सजा का प्रावधान नहीं है। इसलिए उन्हें अन्य मामलों से राहत देते हुए मुक्त किए जाने का आदेश दिया जाए। आवेदन पर सुनवाई के दौरान सीबीआइ विशेष कोर्ट ने उनकी मांग याचिका को वर्ष 2014 में ठुकरा दिया था। याचिका खारिज होने के बाद लालू हाई कोर्ट की शरण में गए थे। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने लालू की याचिका को स्वीकार करते हुए उन सभी धाराओं से मुक्त कर दिया था, जिसमें उन्हें आरसी 20ए/96 में सजा सुनाई गई थी। सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने बताया कि लालू प्रसाद यादव न देवघर कोषागार से 97 लाख रुपये अवैध निकासी से जुड़े चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 64ए/96 मामले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी कि उन्हें इस मामले से मुक्त किया जाए, क्योंकि उन्हें एक मामले में सजा सुनाई जा चुकी है। इसपर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने लालू को भादवि की धारा 120 बी (षडय़ंत्र), 420 (धोखाधड़ी) 406 (अमानत में खयानत), 467, 468, 471 (फर्जी दस्तावेज तैयार कर उसका इस्तेमाल करना) से मुक्त किया था। जबकि धारा 201 और 511 (साक्ष्य छिपाने का प्रयास) मामले में मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआइ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। इसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सीबीआई की याचिका स्वीकार करते हुए लालू पर सभी धाराओं में मुकदमा चलाने का आदेश दिया। इससे लालू की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

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