लालू की गिरफ्तारी के लिए सीबीआइ ने मांगी थी सेना से मदद
लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी के लिए सीबीआइ के अधिकारी सेना की मदद मांगने आवेदन लेकर आए थे।
जागरण संवाददाता, रांची। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी को लेकर वर्ष 1997 में सीबीआइ के अधिकारी सेना की मदद मांगने आवेदन लेकर आए थे। इसके लिए सीबीआइ के तत्कालीन डीएसपी डीएन विश्वास व सीबीआइ के स्टैंडिंग काउंसिल राकेश कुमार पहुंचे थे।
अधिकारियों ने कहा था कि लालू की गिरफ्तारी में सेना की मदद चाहिए। ये बातें आर्मी के तत्कालीन ब्रिगेडियर आरपी नौटियाल ने अदालत को बताई। उन्होंने गुरुवार को चाईबासा व देवघर कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला मामले में सीबीआइ के दो विशेष कोर्ट में गवाही दी। लालू प्रसाद कोर्ट में उपस्थित थे।
चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 68ए/96 में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसएस प्रसाद और देवघर कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला कांड संख्या 64ए/96 में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में आर्मी के तत्कालीन ब्रिगेडियर आरपी नौटियाल ने गवाही दी।
गवाही के दौरान नौटियाल ने कहा कि सेना की मदद के लिए सीबीआइ के अधिकारी आए थे, तब बिग्रेडियर के प्रभार में वे खुद थे। तत्कालीन ब्रिगेडियर मल्होत्रा छुट्टी पर थे। अधिकारियों ने कहा था कि हाई कोर्ट ने उन्हें मौखिक आदेश दिया है। हाई कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस का फोन नंबर भी दिया। तत्कालीन जस्टिस के नंबर पर बात करने पर उन्होंने बताया कि सीबीआइ को लिखित या मौखिक आदेश नहीं है, लेकिन सीबीआइ को जरूरत लगे तो वह सेना की मदद ले सकती है। नौटियाल ने बताया कि सेना किसी की गिरफ्तारी में नहीं, बल्कि विशेष परिस्थिति में मदद करती है।
चाईबासा व देवघर मामले में गवाही के दौरान लालू प्रसाद न्यायालय में हाजिरी लगाई। इसके अलावा दो अन्य मामले दुमका कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह और डोरंडा कोषागार मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रदीप कुमार की अदालत में उपस्थित होकर हाजिरी लगाई। चारा घोटाले के चारों मामले की सुनवाई शुक्रवार को भी होगी।
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