गुमला में मां से बेटी मांग रहे नक्सली
महिला ने उपायुक्त से कहा कि मेरी बेटी हॉस्टल में रहेगी तो नक्सलियों की नजर से दूर रहेगी। पढ़ाई करेगी तो उसका भविष्य भी बनेगा।
जागरण संवाददाता, गुमला। लगातार पुलिसिया कार्रवाई से बैकफुट पर आए नक्सली अब ग्रामीण बच्चों को संगठन में शामिल करने का दबाव बनाने लगे हैं। सोमवार को भी एक ऐसा ही मामला उपायुक्त के समक्ष आया। उपायुक्त श्रवण साय के समक्ष बिशुनपुर पंचायत के निरासी गांव की एक महिला ने अपनी बेटी को बचाने की गुहार लगाई। महिला का कहना था कि उसकी बच्ची को अपने दस्ते में शामिल करने के लिए नक्सली लगातार दबाव बना रहे हैं। वे अक्सर उसके घर आ धमकते हैं और बच्ची को साथ ले जाने की बात करते हैं, लेकिन वह नहीं चाहती है कि उसकी बेटी नक्सली बने। वह अपनी बच्ची को पढ़ाना चाहती है।
महिला ने उपायुक्त से गुहार लगाते हुए कहा कि मेरी बेटी का कस्तूरबा विद्यालय में नामांकन करा दीजिए। बेटी हॉस्टल में रहेगी तो नक्सलियों की नजर से दूर भी रहेगी। पढ़ाई करेगी तो उसका भविष्य भी बनेगा। इस पर उपायुक्त ने तत्काल जिला शिक्षा अधीक्षक व जिला शिक्षा पदाधिकारी को दूरभाष पर निर्देश देते हुए बच्ची का नामांकन कराने की बात कही। उपायुक्त ने कहा कि किसी बच्चा को नक्सलियों को देने की जरूरत नहीं है। सरकार सभी बच्चों को पढ़ाएगी। महिला से कहा कि वह अपनी बच्ची को स्कूल पहुंचा दें। वहां नामांकन हो जाएगा।
गौरतलब है कि दो-तीन साल पहले गुमला जिले के ही बिशुनपुर के कसमार क्षेत्र के बानालात, जोरी, जमटी, बड़कादोहर, हरैया, कटिया, बोरांग, हाकाजांग, रेहलदाग, निरासी समेत कई गांवों से कुछ स्कूली बच्चों को नक्सली जबरन अपने साथ ले गए थे। इनमें 10-12 को पुलिस ने छुड़ाया भी था।
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