शिमला या धर्मशाला में से एक हो राजधानी: धूमल
नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने आरोप लगाया कि वीरभद्र सरकार शिमला व धर्मशाला के लोगों को दूसरी राजधानी के नाम पर गुमराह कर रही है। ...और पढ़ें

जेएनएन, शिमला: नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने आरोप लगाया कि वीरभद्र सरकार शिमला व धर्मशाला के लोगों को दूसरी राजधानी के नाम पर गुमराह कर रही है। प्रदेश में राजधानी एक होनी चाहिए। धूमल ने विधानसभा के विपक्षी लॉज में पत्रकारों से कहा कि यदि धर्मशाला को राजधानी बनाना है तो वहां सभी सुविधाएं दें और शिमला को पर्यटन स्थल बनाया जाए।
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यदि दो राजधानी बनाई जानी हैं तो जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर धर्मशाला पूरा दरबार शिफ्ट होना चाहिए। वहां पर सभी मंत्री, मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव व अन्य अधिकारियों सहित डीजीपी बैठे। सरकार धर्मशाला में सेवाएं देने वाले कर्मचारियों को राजधानी भत्तों सहित अन्य भत्ते प्रदान करें तभी राजधानी बनाने का लाभ है। मात्र कागजों में राजधानी बनाना उचित नहीं है। चुनावी वर्ष में दूसरी राजधानी चुनावी स्टंट भी हो सकता है। कांग्रेस चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ के लिए ऐसी घोषणाएं करती है लेकिन जनता जानती है और उन्हें सत्ता से बाहर करती है।
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वीरभद्र सिंह सरकार मात्र घोषणाओं की सरकार बनकर रह गई है और यह सोमवार को कांग्रेस के ही विधायक राकेश कालिया ने साबित किया है। कालिया ने कहा था कि मात्र दो-चार घोषणाएं ही पूरी होती है और बाकी तो मात्र घोषणाएं ही रहती है। जस्टिस मल्होत्रा आयोग की रिपोर्ट में मुख्यमंत्री के क्षेत्रवाद का खुलासा हुआ है जिसमें 1990 में रोहड़ू में कांगड़ा सहित निचले क्षेत्र के लोगों के साथ मारपीट की गई थी और नारा दिया गया था कि आलू और सेब उगाओ, कांगडि़यो को भगाओ।
रामदेव जमीन मामले में अधिकारियों से वसूली जाए राशि
धूमल ने कहा कि बाबा रामदेव को साधुपुल की जमीन देने को लेकर जिन अधिकारियों के कारण पुलिस को कई वर्षो तक वहां तैनात रखा गया, उन अधिकारियों से सारा खर्च वसूला जाए। इस निर्णय ने यह साबित कर दिया है कि भाजपा ने रामदेव को जमीन देने के लिए कुछ भी गलत नही किया था।

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