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    फैसलों से आभास, चुनाव हैं पास

    By Munish DixitEdited By:
    Updated: Fri, 23 Sep 2016 12:39 PM (IST)

    हिमाचल में कांग्रेस के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ विभिन्न आरोपों को लेकर भले ही कई तरफ से घेराबंदी हो रही हो, लेकिन जिस तरह से रणनीति बन रही है, उससे विरोधी सकते में है।

    डॉ. रचना गुप्ता : हिमाचल में कांग्रेस के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ विभिन्न आरोपों को लेकर भले ही कई तरफ से घेराबंदी हो रही हो, लेकिन जिस तरह से प्रशासनिक तौर पर सरकार में हलकावार रणनीति बन रही है, उससे विरोधी सकते में है। ये विरोधी न सिर्फ भाजपा के हैं बल्कि अपने ही कुनबे से भी जुड़े हैं। राजनीतिक पटखनी देने के साथ साथ वीरभद्र ऐसी विश्वस्त टीम को पूरे प्रदेश में पोस रहे हैं, जो आगामी वक्त में चट्टान की तरह उनके साथ हो और जीतने का माद्दा भी रखती हो। वहीं जिस फुर्ती के साथ शासन की लगाम खींची जा रही है, वह कहीं यह आभास भी दे रहा है कि जल्द चुनाव हुए तो कांग्रेस नहीं बल्कि 'टीम वीरभद्र' मुकाबले के लिए पूरी तरह तैयार हो।

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    कैबिनेट की बैठकों का हवाला लें या मुख्यमंत्री के ताबड़तोड़ दौरों की सूची को टटोलें अथवा नौकरशाहों को लक्ष्य पूरा करने के निर्देश, सभी का निष्कर्ष है हर हाल में चुनावी तैयारी। बुधवार की कैबिनेट बैठक में मंडी, कांगड़ा, सिरमौर पर कांगड़ा जिलों में उपतहसील स्तर पर युक्तीकरण करना हो या पटवार सर्कल स्तर तक भी चीजों को उपयोगिता के हिसाब से क्रमबद्ध करना। जिस तरह से दैनिक वेतनभोगियों को नियमित करने की सौगात का ऐलान कैबिनेट में हुआ वह मार्च में हुई बजट घोषणा के छह माह बाद इसीलिए ताकि चुनाव के वक्त तक जनता याद रखे।

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    मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को बारीकी से खंगालें तो साफ है कि हर कदम पर तीर निशाने पर है। कल के बाद वीरभद्र सिंह मंडी के तीन दिवसीय दौरे पर जा रहे हैं। यह उनकी व उनकी पत्नी की संसदीय सीट भी रही है। यहां भी ज्यादातर उद्घाटन उपतहसील खोलने को लेकर ही हैं। ताकि लोगों का उनके घर में ही काम हो जाए और एक एसडीएम वहीं तैनात हो। एक अच्छा संदेश देने का प्रयास है कि धरातल पर विकास हो रहे हैं। भले ही मंडी में उपायुक्त द्वारा मुख्यमंत्री के एक चौराहे के गोल चक्कर का उद्घाटन भी इसी दौरे में करवाया जा रहा हो। दैनिक राउंडअबाउट आइटीआइ के समीप मंडी में तो दूसरा सकोडी पुल का ट्रैफिक राउंडअबाउट का भी मुख्यमंत्री उद्घाटन करेंगे, जहां से प्रदेश के कैबिनेट में तीन-तीन मंत्री भी हैं।

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    रात्रि विश्राम उन जगहों पर होगा जहां जड़ें मजबूत हो सकें। यही आलम गत दिनों रामपुर-कुल्लू व आनी इत्यादि इलाकों का हो चुका है। बता दें कि आज ही युवा कांग्रेस अध्यक्ष व मुख्यमंत्री के बेटे विक्रमादित्य ने भी संगठन के मंच से साफ कहा है कि नए चेहरों को चुनावी मैदान में लाना होगा। बार-बार हारने वाले नहीं आने चाहिए। यही नहीं कांग्रेस संगठन में तैनातियों को लेकर भी पहले उंगलियां उठ चुकीं हैं। यानी सड़क, संगठन से लेकर सत्ता के रास्ते पहुंचने का मार्ग वीरभद्र सिंह तराश चुके हैं। इसीलिए सीबीआइ, दिल्ली हाईकोर्ट, ईडी की बार-बार बिछती बिसात के बावजूद उनके चेहरे में शिकन नहीं दिखती। संभवत: जब तक उलझनों से रास्ता निकलता रहा तब तक ठीक, वर्ना पंजाब इत्यादि राज्यों के चुनाव तो दरवाजे पर है हीं। हिमाचल का भी एक नाम जुड़ सकता है। अफसरशाही में सुगबुगाहट है और जनता को आभास। फिर भी तेल व उसकी धार कहां बहेगी यह विरोधियों की बिसात पर निर्भर करता है।

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