बेरोजगारी भत्ते पर सहमत हो सकती है सरकार
चुनावी वर्ष में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस संगठन और सरकार के बीच रार का कारण बने बेरोजगारी भत्ते पर सरकार सहमत हो सकती है और युवाओं को बजट में बोनांजा मिल सकता है।
जेएनएन, शिमला: चुनावी वर्ष में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस संगठन और सरकार के बीच रार का कारण बने बेरोजगारी भत्ते पर सरकार सहमत हो सकती है और युवाओं को बजट में बोनांजा मिल सकता है। ऐसे संकेत बुधवार देर रात को मिले हैं। इससे पूर्व दिनभर गहमागहमी का दौर रहा और प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी तक संगठन और सरकार की रार पहुंची। संगठन ने बेरोजगारी भत्ते को इस हद तक मुद्दा बनाया था कि विधायक दल की बैठक में कई लोग नहीं पहुंचे।
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इसे सरकार और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विरोध का तरीका माना जा रहा है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले बजट में बेरोजगारी भत्ते के संबंध में युवाओं को कोई न कोई तोहफा मिलने वाला है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक चुनावी वर्ष में इस संवेदनशील मुद्दे पर सरकार घिरना नहीं चाहती है। गौरतलब है कि वीरभद्र सिंह बेरोजगारी भत्ते का यह कहकर मुखर विरोध कर चुके हैं कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति किसी को भी मुफ्त पेंशन देने की नहीं है। हालांकि वीरभद्र सिंह ने इसे अनुशासनहीनता भी कहा था लेकिन अंतत: संगठन का दबाव सरकार को मानना पड़ सकता है।
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उधर, बेरोजगारी भत्ते को लेकर चल रही गतिविधियों पर वीरभद्र सिंह ने दो टूक कहा कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू सस्ती लोकप्रियता चाहते हैं। सीएम चैंबर में पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि बेरोजगारी भत्ते पर सरकार क्या कदम उठा रही है तो उनका कहना था कि इस पर ढोल-नगाड़े बजाकर चर्चा नहीं हो सकती। इस मामले में कांग्रेस का रवैया सही नहीं है। सरकार बेरोजगारी भत्ते के मामले में बंद कमरे में चर्चा करेगी। इसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री सीधे सचिवालय आ गए। दो दिन पहले ही बेरोजगारी भत्ते के मामले में सुक्खू कमेटी के साथ मुख्यमंत्री से मिले थे। सचिवालय में हुई इस मुलाकात में पार्टी की फीडबैक से मुख्यमंत्री को अवगत करवाया था।
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