दूषित हुई देवभूमि की नदियां
हिमाचल से निकलने वाली सभी नदियों में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां की आठ नदियों में बायोलॉजिक्ल आक्सीजन डिमांड (बीडीओ) का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है।
शिमला [जेएनएन] : देवभूमि हिमाचल से निकलने वाली सभी नदियों में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां की आठ नदियों में बायोलॉजिक्ल आक्सीजन डिमांड (बीडीओ) का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। इस वजह से नदियों में जीव-जंतुओ का जीवन मुश्किल में पड़ जाएगा। इसी तरह से पानी के भीतर पैदा होने वाली वनस्पति का विकास रुकने के साथ खत्म हो सकता है। प्रदूषण की हालत यह हो चुकी है कि ब्यास नदी 80 किलोमीटर तक दूषित पाई गई है। कुल्लू जिले के ब्यास कुंड से निकलने वाली यह नदी कुल्लू, मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा से बहते हुए पंजाब पहुंचती है।
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नदियों के पानी की कई स्थानो पर जांच की। पाया गया कि ब्यास में बीओडी की मात्रा अधिक है। कुल्लू से देहरा के बीच मे स्नोट और कुल्लू के कस्बों के साथ लगते नदी के क्षेत्र मे बीओडी की मात्रा तय मानको से अधिक 7.6 आंकी गई है। अन्य सात नदियां भी प्रदूषण की चपेट मे है और उनका पानी भी स्वच्छता के पैमाने पर खरा नही उतरा है। इनमें टौस, सिरसा, स्वां, सुखना, सुकेती, बिनवा और मारकंडा नदियां शामिल है।
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मारकंडा और सुखना नदियों में बीओडी की मात्रा सबसे अधिक है। सोलन और सिरमौर से निकलने वाली इन नदियों में औद्योगिक क्षेत्रों से सटे हिस्सों में प्रदूषण की मात्रा को अत्यधिक पाई गई है। सोलन जिले में बहने वाली सिरसा नदी से कई जगह पानी की आपूर्ति होती है। इसका पानी भी दूषित पाया गया है। इसी तरह स्वां नदी का ऊना से संतोषगढ़ कस्बे के बीच के करीब 10 किलोमीटर क्षेत्र में बीओडी की मात्रा 9 आंकी गई है। इसी तरह सिरमौर, कांगड़ा और मंडी की छोटी नदियो सुकेती, टौस और बिनवा मे भी बीओडी का स्तर सही नहीं है।
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कई गुना ज्यादा है बैक्टीरिया
नियमों के मुताबिक 100 मिलीलीटर पानी में बैक्टीरिया की संख्या 500 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। खतरनाक बात है कि हिमाचल की नदियों में पैरामीटर से ज्यादा बैक्टीरिया पाया गया है। हालांकि ब्यास की तुलना में अन्य सात नदियों का पांच से 10 किलोमीटर हिस्सा ही प्रदूषित पाया गया है, लेकिन पानी में बैक्टीरिया की मात्रा काफी अधिक है। बैक्टीरिया ज्यादा होने पर पानी के शुद्धिकरण के बावजूद पीने योग्य बनाना मुश्किल होता है। यह पीने, नहाने या सब्जियों के जरिए हमारे शरीर में पहुंचकर सेहत के लिए खतरा पैदा कर सकते है।
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