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मोदी ने राष्ट्र को समर्पित की तीन बड़ी पनविद्युत पर‍ियोजनाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ह‍िमाचल प्रदेश के मंडी से 1732 मेगावाट क्षमता के तीन पनविद्युत पर‍ियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की।

By Edited By: Published: Tue, 18 Oct 2016 01:22 AM (IST)Updated: Tue, 18 Oct 2016 01:16 PM (IST)
मोदी ने राष्ट्र को समर्पित की तीन बड़ी पनविद्युत पर‍ियोजनाएं

मंडी [जेएनएन] : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज हिमाचल प्रदेश के मंडी से 1732 मेगावाट क्षमता के तीन पनविद्युत परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की। मोदी ने एनटीपीसी के 800 मेगावाट के कोल डैम, एनएचपीसी की 520 मेगावाट के पार्वती तृतीय व एसजेवीएनएल के 412 मेगावाट क्षमता के रामपुर पनविद्युत प्रोजेक्ट का मंडी के पड्डल मैदान से उद्घाटन किया।

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इस मौके पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा, केंद्रीय विद्युत, कोयला, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा एवं खान मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पीयूष गोयल, प्रदेश के ऊर्जा मंत्री सुजान सिंह पठानिया, सांसद शांता कुमार, अनुराग ठाकुर, वीरेंद्र कश्यप, रामस्वरूप शर्मा, आनंद शर्मा, विप्लव ठाकुर व अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहेंगे।

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कोल बांध में होगा सालाना 3054 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन

मंडी व बिलासपुर जिला की सीमा पर सतलुज नदी पर हरनोडा में बने 800 मेगावाट क्षमता के कोल डैम में सालाना 3054 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन होगा। यह प्रोजेक्ट उलारी ग्रिड को व्यस्त समय की क्षमता उपलब्ध कराता है। एनटीपीसी ने दिसंबर 2003 में तकनीकी व आर्थिक स्वीकृति मिलने के बाद निर्माण कार्य शुरू किया था। कोल बांध से उत्पादित बिजली का 12 फीसद हिमाचल को निशुल्क मिलेगा। स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के खाते से राज्य को एक फीसद अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति की जा रही है। परियोजना से प्रभावित सभी परिवारो को प्रतिमाह 100 यूनिट बिजली निशुल्क प्रदान की जा रही है। बाकी बिजली की आपूर्ति दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उतर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू व कश्मीर व चंडीगढ़ को की जा रही है।

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पार्वती तृतीय परियोजना के निर्माण पर 2600 करोड़ खर्च

पार्वती परियोजनाएं निष्पादित करने के लिए हिमाचल सरकार व एनएचपीसी के मध्य 20 नवंबर 1998 को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे। पार्वती परियोजनाओ का शिलान्यास तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 12 दिसंबर 1999 को किया था। नौ नवंबर 2005 को परियोजना को सीसीईए की सहमति प्रदान की गई थी। परियोजना का निर्माण दिसंबर 2005 मे शुरू हुआ। निर्माण कार्य छह जून 2014 को पूरा कर लिया गया। पार्वती तृतीय पनविद्युत परियोजना एक बहते पानी की योजना है। इसमे 43 मीटर ऊंचा रॉक फिल बांध, भूमिगत पावर हाउस और 10.58 किलोमीटर लंबा वाटर कंडक्टर सिस्टम है। यह पावर प्लांट वर्ष मे 1963.29 मिलियन यूनिट उत्पादन के लिए डिजाइन किया गया है। पार्वती प्रोजेक्ट से हिमाचल, जम्मू व कश्मीर, पंजाब, उतराखंड, उलार प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान व चंडीगढ़ को वितरित की जाती है। योजना की पूर्णता लागत करीब 2600 करोड़ रुपये है। 30 सितंबर तक कुल बिजली उत्पादन 1880 मिलियन यूनिट व राजस्व प्राप्ति 816 करोड़ रुपये अर्जित कर ली गई है।

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एसजेवीएन केंद्र व हिमाचल सरकार का संयुक्त उपक्रम

भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन भारत सरकार एवं हिमाचल सरकार के एक संयुक्त उपक्रम के रूप में एक मिनी रत्न श्रेणी के तौर पर एसजेवीएन की स्थापना 24 मई 1988 को हुई। एसजेवीएन अब एक सूचीबद्ध कंपनी है। एसजेवीएन की मौजूदा अभिदत एवं अधिकृत पूंजी क्रमश: 4136.63 करोड़ रुपये एवं 7000 करोड़ रुपये है। कंपनी की मौजूदा नेटवर्थ 1020304 करोड़ रुपये है। कंपनी ने एकल परियोजना एवं एकल राज्य अर्थात हिमाचल प्रदेश में भारत का सबसे बड़ा 1500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी जलविद्युत स्टेशन प्रचालन से शुरुआत करके हिमाचल प्रदेश में 412 मेगावाट का रामपुर जलविद्युत स्टेशन तथा महाराष्ट्र में 47.6 मेगावाट की खिरवीरे पवन विद्युत परियोजना नामक दो परियोजनाओं को कमीशन किया है। एसजेवीएन वर्तमान मे भारत मे हिमाचल प्रदेश, उतराखंड, बिहार, गुजरात, राजस्थान व अरुणाचल प्रदेश के अलावा पड़ोसी देश नेपाल एवं भूटान मे विद्युत परियोजना का कार्यान्वयन कर रहा है।

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