मां के अदम्य साहस के आगे पिघला बर्फ का पहाड़
मंडी की सराज घाटी में एक मां ने सात दिन पहले दो बच्चों को जन्म दिया। एक बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर वह करीब 22 किलोमीटर बर्फ में पैदल चली और मंडी अस्पताल पहुंची।
बालीचौकी/मंडी [नूतन प्रकाश ठाकुर]: फसलों के लिए.. बागवानी के लिए..लगातार गर्मी के लिए.. अच्छी होती होगी बर्फ। कमला के लिए तो सख्त इम्तिहान बन कर आई। सराज क्षेत्र में घाट पंचायत के पाली गांव की कमला ने सात दिन पहले दो बच्चों को जन्म दिया है। एक बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर वह करीब 22 किलोमीटर पैदल चली और मंगलवार देर शाम मंडी अस्पताल पहुंची। सात दिन पहले जिसका प्रसव हुआ हो.. उसका अपने बच्चे को बचाने के लिए पैदल चलना अदम्य साहस नहीं तो और क्या है।
यह भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश में ठंड से अब तक 10 लोगों की मौत
अच्छी बात यह कि एक मां की ममता ने अपनी जिद के हथियार से बर्फ का पहाड़ काट दिया। कुल्लू और मंडी की सीमा वाले सराज क्षेत्र में इस बार हुई बर्फबारी गाड़ागुशैणी कस्बे को दर्द के सिवा कुछ नहीं दे रही। यहां के बाशिंदों की टीस सरकार व प्रशासन तक लगता है नहीं पहुंची। कल्पना ही की जा सकती है कि कमला देवी कैसे सात दिन के बीमार बच्चों को लेकर बर्फ के बीच कैसे 23 किलोमीटर चली होगी और कैसे शून्य पर पहुंचे तापमान में नवजात बच्चों को ठंड से बचाया होगा। ग्राम पंचायत थाचाधार के प्रधान ललित ठाकुर बताते हैं कि साथ लगती घाट पंचायत में 10 जनवरी को बेली राम की पत्नी कमला देवी ने दो जुड़वां बच्चों को जन्म दिया।
यह भी पढ़ें: पहाड़ों की राह पर भारी पड़ रही नासमझी
सोमवार को एक बच्चे की तबीयत जब खराब हो गई तो परिजन मंगलवार को उसे गाड़ागुशैणी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक ले गए, लेकिन वहां माकूल सुविधाएं न होने के कारण चिकित्सक ने नवजात को मंडी के लिए रेफर कर दिया।
इस दौरान प्रसूता कमला देवी ने परिजनों के सहयोग से लगभग छह घंटे के पैदल सफर के उपरांत बाहू गांव के साथ लगते पाली कैंची नामक स्थान से निजी वाहन हासिल किया। देर शाम तक जच्चा-बच्चा नागरिक अस्पताल मंडी पहुंचे जहां बच्चे का उपचार शुरू हो गया है।
यह भी पढ़ें: हिमाचल में प्रचंड ठंड ने बढ़ाई दिक्कत
छह जनवरी को पहली बर्फबारी के उपरांत गाड़ागुशैणी में जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। स्थानीय अस्पताल में जहां ओपीडी में वृद्धि हुई है, वहीं इन 10 दिन में करीब छह गंभीर मरीजों को पालकी के सहारे 20-25 किलोमीटर पैदल चलकर स्वास्थ्य संस्थानों में पहुंचाना पड़ा। सराज घाटी के इस दुर्गम इलाके की चार पंचायतों थाचाधार, घाट, खौली व बगड़ाथाच में लगभग सात हजार की आबादी रहती है। आमतौर पर बर्फ के दौरान महीनों तक यहां संचार, बिजली व यातायात की व्यवस्था बाधित रहती है। स्थानीय लोगों की मांग है कि यहां बर्फबारी के दौरान स्नो कटर की व्यवस्था की जाए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।