प्रसव पीड़ा है तो भूलकर भी न जाएं धर्मशाला अस्पताल
क्षेत्रीय चिकित्सालय धर्मशाला में विशेषज्ञ चिकित्सकों के कुल 37 पद स्वीकृत है। इनमे से 13 पद रिक्त है।
धर्मशाला। यदि आपको चरम रोग या फिर प्रसव पीड़ा है तो क्षेत्रीय अस्पताल धर्मशाला जाने की बजाय सीधे डॉ. राजेद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा ही जाएं। धर्मशाला अस्पताल में मौजूदा समय में चरम रोग का एक भी चिकित्सक नही है। स्त्री रोग विशेषज्ञ है, लेकिन वह भी कैप ड्यूटी पर ही रहता है।
जिला के सबसे बड़े अस्पताल धर्मशाला का आलम यह है कि करीब आठ चिकित्सकों का तबादला हो चुका है, जबकि अगले ही माह दो और चिकित्सक उच्च शिक्षा के लिए जाने वाले है। इससे पहले ही चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे मरीजों व उनके तीमारदारों की समस्या और बढऩे वाली है। क्षेत्रीय चिकित्सालय धर्मशाला में विशेषज्ञ चिकित्सकों के कुल 37 पद स्वीकृत है। इनमे से 13 पद रिक्त है।
रोजाना 900 के करीब अस्पताल मे ओपीडी है और ऐसे में चिकित्सकों की कमी ने मरीजों की दिक्कतों को और भी बढ़ा दिया है। हालांकि अस्पताल प्रशासन अन्य ओपीडी में तो मरीजों को विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं प्रदान करने में जुटा हुआ है, लेकिन चरम रोग की सेवाएं नही मिल पा रही है। यही आलम गायनी विभाग का है। चरम रोग व गायनी से जुड़े मरीज सुबह अस्पताल तो पहुंच जाते है, लेकिन चिकित्सक न होने की सूचना के बाद उन्हें मायूस लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है।
अस्पताल में चिकित्सकों की कमी चल रही है। यह कमी दूर हो सके, इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियो को अवगत करवाकर उनसे चिकित्सको की नियुक्ति की मांग की गई है।
डॉ. दिनेश महाजन, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक, क्षेत्रीय अस्पताल धर्मशाला।
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