आंखों में भी जिंदा रह सकता है जीका वायरस, जानें क्या कहती है रिसर्च
वयस्कों में जीका का असर अपेक्षाकृत कम होता है। इससे कंजेक्टिवाइटिस आंखें लाल होना आंखों में खुजली होना जैसी बीमारियां होती हैं।

एजेंसी । जीका वायरस पर शोधकर्ताओं की रिसर्च में हैरान कर देने वाली बात निकल कर बाहर आई है। शोधकर्ताओं के एक दल ने अपनी रिसर्च में पाया है कि जीका वायरस आंखों में भी जिंदा रह सकता है। इस दल में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है। दुनिया भर में इसका प्रकोप बढ़ता जा रहा है।
इस शोध में कहा गया है कि वयस्कों में जीका का असर अपेक्षाकृत कम होता है। इससे कंजेक्टिवाइटिस, आंखें लाल होना, आंखों में खुजली होना जैसी बीमारियां होती हैं। साथ ही हमेशा के लिए आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
जीका का आंखों पर असर जांचने के लिए शोधदल ने चूहों पर प्रयोग किया। इसमें पाया गया कि जीका का वायरस संक्रमण के एक हफ्ते बाद तक आंखों में जीवित रहता है। वाशिंगटन विश्वविद्यालय के प्रोफेस माइकेल एस. डायमंड का कहना है, "हमारे शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि आंखें जीका वायरस के लिए जलाशय का काम करती हैं."
इसके बाद शोधकर्ता जीका से पीड़ित मरीजों पर यह शोध करने की तैयारी कर रहे हैं। वाशिंगटन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजेंद्र एस. आप्टे का कहना है, "हम मरीजों की जांच कर यह देखेंगे कि वायरस का कॉर्निया पर क्या असर होता है। क्योंकि इससे कॉर्निया के प्रत्यारोपण में परेशानी पैदा हो सकती है।" अब तक जीका वायरस की पहचान के लिए रक्त के नमूनों का परीक्षण किया जाता रहा है। अब इस शोध के बाद आंखों के पानी के नमूनों से भी जीका की पहचान की जा सकेगी। यह शोध 'सेल रिपोर्ट्स' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
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