क्या प्रसव के बाद मां के लिये घी का सेवन उचित है?
प्रसव के बाद महिलाओं को पौष्टिïक भोजन की जरूरत होती है, न कि अधिक चिकनाई युक्त भोजन की।
ऑलिव ऑयल के बाद घी को स्वास्थ्य के लिये अच्छा माना जाता है। हमें प्रतिदिन के भोजन में घी को अवश्य शामिल करना चाहिये। लेकिन आवश्यकता से अधिक घी हमारे स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचा सकता है।
प्रसव के बाद अधिक मात्रा में घी का प्रयोग हानिकारक हो सकता है। प्रसव के बाद महिलाओं को पौष्टिïक भोजन की जरूरत होती है न कि अधिक चिकनाई युक्त भोजन की। इसलिये प्रसव के बाद जरूरत से ज्यादा घी का सेवन नही करना चाहिये। इसके स्थान पर सब्जी, दाल, दलिया, ताजे फल जैसे खाद्य पदार्थो को प्रसूता की डाइट में शामिल करना चाहिये।
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पुराने समय में प्रसूता के भोजन का घी का प्रयोग अधिक मात्रा में किया जाता था। लेकिन अब स्त्री रोग विशेषज्ञ नई माताओं को सलाह देते हैं कि वे अपनी पसंद के भोजन में घी का इस्तेमाल संभलकर करें। भोजन में थोड़ा बहुत घी डालकर खाया जा सकता है। लेकिन अधिक मात्रा में इसकेप्रयोग से सिर्फ फैट बढ़ेगा।
ऐसा कहा जाता है कि नई माताओं के जोड़ कमजोर हो जाते हैं तथा केवल घी में ही यह गुण होता है कि वह जोड़ों को अच्छे से काम करने में सहायक होता है। जबकि डॉक्टर का कहना है कि प्रसव के बाद जोड़ कमजोर नही होते बल्कि शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है जिससे हाथ पैरों में दर्द होता है इसके लिये घी की जगह अगर कै ल्शियम की खुराक ली जाये तो आपके लिये ज्यादा स्वास्थ्यप्रद होगा।
विशेषज्ञ कहते हैं कि वे माताएं जो प्रसव के बाद अधिक मात्रा में घी का सेवन करती हैं उन्हें प्रसव के बाद तीन भयानक समस्याओं जैसे मोटापा, हृदय की समस्या और कोलेस्ट्राल लेवल बढऩे आदि का सामना करना पड़ता है जो हृदय के लिए अच्छा नहीं है। प्रसव के बाद अपने आहार से घी को निकाल दें, क्योंकि यह और कुछ नहीं बल्कि एक प्रकार का मक्खन है जिसमें प्रचुर मात्रा में फैट होता है।
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हम ये नही कहते कि घी स्वास्थ्य के लिये फायदेमंद नही होता, ये स्वास्थ्य के लिये लाभकारी तो है बशर्ते कम मात्रा में खाया जाये।
घी के फायदे-
1. घी से सिरदर्द और माइग्रेन जैसी समस्याओं में आराम मिलता है।
2. घी त्वचा के लिए लाभकारी होती है तथा शरीर की सूजन को भी कम करता है।
3. घी पेट के लिए अच्छा होता है। इससे कब्ज की समस्या दूर होती है जो गर्भवती महिलाओं की एक मुख्य समस्या होती है।
4. घी का सेवन गर्भवती महिलाओं में चयापचय की प्रक्रिया को बढ़ाता है जिसके कारण गर्भवती महिलाओं को बार-बार थकान नही होती।
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