क्या आप जानते हैं गर्भ में पल रहा बच्चा क्यों मारता है किक
कहते हैं कि जब बच्चा गर्भ में होता है तो वो पेट के अंदर ही पैर मारता है जिसे बच्चे की किक भी कहा जाता है।
किसी भी महिला के लिये मां बनने का अहसास बेहद ही सुखद होता है जिसे वह अपने मन में जीवन भर संजोकर रखती है। ये नौ माह का समय प्रतिदिन उसे नये-नये अहसास करवाता रहता है जैसे-जैसे गर्भ में पल रहा भ्रूण आकार लेने लगता है वैसे-वैसे मां बनने का अहसास और तेज होने लगता है।
कहते हैं कि जब बच्चा गर्भ में होता है तो वो पेट के अंदर ही पैर मारता है जिसे बच्चे की किक भी कहा जाता है। इसका अनुभव प्रत्येक गर्भवती महिला करती है। क्या आपको पता है बच्चा ऐसा क्यों करता है। तो आइये हम आपको बताते हैं इसके पीछे की सच्चाई।
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- वातावरण में किसी भी प्रकार का बदलाव होने पर वह किक मारकर अपनी प्रतिक्रिया का इजहार करता है। जैसे जब वह कोई तेज आवाज सुनता है।
- मां के बांई करवट लेटने से भी बच्चे की किक मारने की प्रक्रिया बढ़ जाती है। क्योंकि बांई करवट लेटने से भ्रूण को मिलने वाली रक्त की आपूर्ति बढ़ जाती है जिसके कारण बच्चे की हलचल बढ़ जाती है।
- दूसरी मां बनने वाली गर्भवती महिलाओं में 13 सप्ताह के बाद ही बच्चे की किक मारने की प्रक्रिया शुरु हो जाती है।
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-मां के खाना खाने के बाद भी बच्चे की हलचल बढ़ जाती है, इससे अहसास होता है कि अब बच्चा भी अपनी जरूरी खुराक ले रहा है।
-डॉक्टर भी अक्सर बच्चे के किक काउंट करने की सलाह देती है क्योंकि इससे पता चलता है कि बच्चे को ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति हो रही है या नही। अगर आपके किक काउंट सामान्य से कम है तो इसका मतलब ये है कि बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन नही मिल रही है।