पानी को तरस रही कॉलोनियों में टूट रहे लड़कों के रिश्ते, चाय बनाने में भी दिक्कत
महिलाओं ने दावा किया कि कई लोग तो पानी के अभाव में दो-तीन दिनों से स्नान भी नहीं कर रहे हैं। कुल्ला करने और चाय बनाने तक के लिए पानी नहीं है। ...और पढ़ें

रोहतक, [अरुण शर्मा]। रोहतक की कॉलोनियों में राजस्थान से भी विकट हालात हैं। कॉलोनी वाले बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। स्थिति इतनी विकट है कि इन कॉलोनियों के लड़कों के रिश्ते टूट रहे हैं। लड़की वाले यह कहकर रिश्ता ठुकराकर चले जाते हैं कि हमारी बेटियों को पानी भरना पड़ेगा।
स्थानीय महिलाएं कहती हैं कि पानी ढोते-ढोते 25-30 साल हो गए, लेकिन प्यासे कंठ तर नहीं हो सके। जागरण की टीम रविवार को डुंगीगोरी क्षेत्र के सलारा मोहल्ला और कच्चा चमारिया में पहुंची। महिलाओं ने दावा किया कि कई लोग तो पानी के अभाव में दो-तीन दिनों से स्नान भी नहीं कर रहे हैं। कुल्ला करने और चाय बनाने तक के लिए पानी नहीं है। कच्चा चमारिया रोड निवासी धर्मेद्र कहते हैं कि पांच-पांच घरों ने सौ-सौ रुपये इकट्ठे किए और टैंकर मंगवाए। हालांकि टैंकर जो पानी लेकर पहुंचे थे, वह पीने लायक नहीं था।
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दो किमी दूर से लाते हैं पानी, उस पर भी लोगों को ऐतराज
सलारा मोहल्ले के लोग दो किमी दूर पॉवर हाउस स्थित बाइपास लाइन से पानी लेने जाते हैं। जबकि कच्चा चमारिया रोड के लोग एक किमी दूर रैनकपुरा से पानी लाते हैं। जिन लाइनों से लोग पानी भरकर लाते हैं, वहां के लोग आपत्ति जताने लगे हैं कि हमारे यहां भी कम पानी आता है। इसलिए भी स्थानीय लोगों की नींद उड़ी हुई है।
तसलों में बच्चो को कराते हैं स्नान, कुल्ला करना भी मुहाल
जागरण की टीम को देखते ही मौके पर व्यथा सुनाते हुए सलारा मोहल्ला निवासी कैला, गीता, सरोज, नीलम, अंजू, बतासो, रीना, शकुंतला, संतरा देवी, शीता कहती हैं कि जमीनी पानी तो ऐसा है कि शरीर पर एक बूंद भी नहीं डाल सकते। चाय तो छोड़िए उस पानी से बर्तन भी साफ नहीं कर सकते। पानी की किल्लत बताते हुए कहा कि बच्चों को तसले में स्नान कराना पड़ता है। कुल्ला आधे ग्लास में ही करना होता है, जबकि पानी की कमी के चलते मुंह धोते ही नहीं हैं।
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दो साल से यूं ही पड़ा है लाइन बिछाने के लिए आया पाइप
डुंगीगोरी क्षेत्र के ऊपरी कॉलोनियों यानि जागृति स्कूल के पीछे वाली कॉलोनियों में 2015 में पानी की लाइन बिछाने के लिए काम शुरू होना था। हालांकि पाइप आने के बाद से ही अटका हुआ है और मौके पर सैकड़ों पाइप पड़े हुए हैं। विभागीय अधिकारी ऐसे दावों से इन्कार करते हैं। जबकि स्थानीय लोग कहते हैं कि सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर से भी इस प्रकरण में शिकायत की थी। उन्होंने भी लाइन बिछाने का वायदा किया था।
लोगों में इस कदर गुस्सा है कि वह किसी भी हद पर जा सकते हैं। जब टैंकर आ जाते हैं तो ड्रम से लेकर बर्तन घरों के आगे रखने पड़ते हैं। जब यह बर्तन भर जाते हैं तो घर के अंदर रखे बर्तनों में पानी ले जाते हैं। दिनभर और रात में इन गली में घर के आगे रखे बर्तनों की रखवाली करने एक व्यक्ति सोता है। ऊंची कॉलोनियों की महिलाएं व लोग भी पहले बर्तन रखते हैं, फिर पानी भरते हैं। बावजूद प्रशासन इन क्षेत्रों के लोगों के हालात पर तरस नहीं खा रहा है।
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यह हैं शहर के हालात
सीवरेज लाइन नहीं। पानी की लाइन ज्यादातर लोगों ने खुद ही बिछाई हैं। समाज सेवी आजाद डाबला कहते हैं कि कच्चा चमारिया व सलारा मोहल्ले में लाइन ही नहीं बिछी है। एक साल पहले ही बूस्टिंग स्टेशन बन चुका है, लेकिन बिजली का कनेक्शन नहीं है।
बजट की जांच की मांग
वार्ड-14 की पार्षद नीरा भटनागर ने कहा कि पेयजल आपूर्ति के लिए शहरी क्षेत्र में कितना बजट है और कितना खर्च हुआ आदि बिंदूओं की विस्तृत जांच होनी चाहिए। जिससे स्पष्ट हो सके कि जनता को पीने को पानी नहीं मिल रहा है, जबकि अधिकारी बजट खर्च करने में जुटे हुए हैं।

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