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आपके बच्‍चे को चाउमीन का शौक है तो ध्‍यान रखें, मुश्किल से बची साढ़े तीन साल के बच्‍चे की जान

यदि आपका बच्‍चा भी चाउमीन खाने का शौकीन है और उसके साथ सॉस भी लेता है तो सावधान हो जाएं। यमुनानगर में चाउमीन और उसके साथ सॉस खाने से साढ़ तीन साल के बच्‍चे की जान पर बन आई।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 22 Jun 2019 04:57 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jun 2019 05:49 PM (IST)
आपके बच्‍चे को चाउमीन का शौक है तो ध्‍यान रखें, मुश्किल से बची साढ़े तीन साल के बच्‍चे की जान
आपके बच्‍चे को चाउमीन का शौक है तो ध्‍यान रखें, मुश्किल से बची साढ़े तीन साल के बच्‍चे की जान

यमुनानगर, [पोपीन पंवार]। यदि आपका बच्‍चा भी चाउमीन और सॉस खाने का शौकीन है तो सावधान हो जाएं। उसके इस शौक पर ध्‍यान रखें, वरना बेहद मुश्किल हो सकती है। चाउमीन और उसके साथ सॉस मिलाकर खाने  से साढ़े तीन साल के एक बच्चे की जान पर बन आई। डॉक्‍टरों ने बहुत मुश्किल से उसकी जान बचाई। उसने चाउमीन में सॉस अधिक डाल लिया। खाते समय कुछ सॉस उसके शरीर पर भी गिर गई, जिससे वह झुलस गया और साॅस खाने से उसके फेफड़े फट गए। काफी मशक्‍कत के बाद डॉक्‍टरों ने उसकी जान बचाई। उसे वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। वह 23 दिनों से अस्‍पताल में भर्ती है।

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यमुनानगर के अस्पताल में चिकित्सकों ने मुश्किल से बचाई बच्चे की जान
इलाज के दौरान तीन बार ऐसा मौका आया जब बच्‍चे के हार्ट ने कम करना बंद कर दिया। डॉक्टर भी इस मामले से हैरत में हैं। बच्चे के इलाज में काफी खर्च आया है, लेकिन आयुष्मान योजना के पैनल पर होने की वजह से बच्‍चे के परिवार को कोई पैसा नहीं खर्च हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकतर सॉस में एसिटिक एसिड होता है।

अस्‍पताल में भर्ती बच्‍चे की जांच करते डॉक्‍टर।

सॉस में एसिडिक एसिड होने के कारण बच्‍चे के फेफड़े व हार्ट को पहुंचा नुकसान
यमुनानगर जिले के मदीपुर निवासी मंजूर हसन का साढ़े तीन साल का बेटा उस्मान गांव में लगी रेहड़ी पर चाउमीन खाने के लिए गया था। मंजूर हसन ने बताया कि उसके दो बच्चे हैं। छोटा बच्चा उस्मान चाउमीन खाने की जिद कर रहा था। वह पास में ही लगी रेहड़ी पर बच्चे को लेकर चले गए। यहां पर चाउमीन खाते हुए उसने रेहड़ी पर रखे सॉस को चाउमीन में डाला। बाद में वह सॉस को पीने लगा। मंजूर ने बताया कि उसने बच्‍चे को ऐसा करने से रोका। इसी दौरान कुछ सॉस बच्चे के पैरों पर गिर गया। कुछ देर के बाद उस्मान की तबीयत बिगड़ गई। तुरंत उसे गांव में ही एक डॉक्टर के पास लेकर गए, लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ। शरीर भी काला पड़ने लगा।

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नर्सिंग होम में करवाना पड़ा भर्ती
मंजूर हसन ने बताया कि 31 मई की रात को बच्चे की तबीयत और अधिक बिगड़ गई तो वह उसे शहर के गाबा अस्पताल में लेकर पहुंचे। यहां पर डॉक्टरों ने उसकी जांच की। हालत गंभीर होने पर उसे डॉक्टरों ने भर्ती करने से इन्‍कार कर दिया। यहां से उसे कहीं और ले जाने को कहा। बाद में परिजनों के आग्रह पर अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. निखिल बंसल ने बच्चे को भर्ती किया। बच्चे का ऑपरेशन किया गया। डॉ. निखिल ने बताया कि जब यह बच्चा हमारे पास आया, तो उसका बीपी डाउन था और नब्ज भी नहीं मिल रही थी। अधिक हवा भरने के कारण फेफड़े फट गए थे। ट्यूब लगाकर फेफड़ों में फंसा मल निकाला गया।

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विशेषज्ञों के अनुसार, स्वाद बढ़ाने के लिए साॅस में एसिटिक एसिड मिलाया जाता है। ऐसा सॉस सेहत के लिए बेहद हानिकारक होता है। चाट विक्रेता भी इस एसिड का प्रयोग गोल गप्पे के पानी को टेस्टी बनाने के लिए करते हैं।

 

 बच्‍चे का पिता। सॉस गिरने से उसका हाथ भी झुलस गया था।

कृत्रिम सांस देकर बचाया
डॉक्‍टर ने बताया कि इलाज के दौरान ही उस्मान के हार्ट ने कार्य करना बंद कर दिया। इस पर अस्पताल के ही हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. बीएस गाबा ने बच्चे को कृत्रिम सांस देकर बचाया। इस इलाज के दौरान तीन बार बच्चे का हार्ट बंद हुआ, क्योंकि एसिटिक एसिड के कारण उसके ऑर्गन अंदर से जल चुके थे। तभी से बच्चा वेंटिलेटर पर हैं। फिलहाल बच्चे की हालत में सुधार है। बच्चे के पिता उस्मान के हाथ पर भी यह सॉस गिरा था, तो उनका हाथ भी जला हुआ है। डॉ. बीएस गाबा के मुताबिक, इस तरह का यह पहला केस उनके सामने आया है।

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