साध्वियों के लिए कारागार से कम नहीं था डेरा, जेल गया बाबा तो मिली मुक्ति
डेरा सच्चा सौदा में 125 साध्वियां कारागार सी जिंदगी जी रही थीं। उनको न तो किसी के सामने आने की अनुमति थी और न ही किसी से बात करने की। राम रहीम के जेल जाने से उनको मुक्ति मिली है।
सिरसा, [डीडी गोयल]। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम वैसे तो अपने सत्संग व फिल्मों में महिलाओं उत्थान के लिए लड़ाई लड़ने का उपदेश देता था, लेकिन डेरा में रहने वाली 125 साध्वियों पर तमाम पाबंदियां लगा रखी थीं। ये साध्वियां वहां कारागार की जिंदगी जीते को विवश थीं। गुरमीत की बेहद करीबी होने के बावजूद इन महिलाओं को सत्संग के दौरान पंडाल में जाने का अधिकार नहीं था। वे अपनी मर्जी से परिजनों तक से बात नहीं कर सकती थी। इन साध्वियों को सत ब्रह्मचारी कहा जाता था। राम रहीम के जेल जाने के बाद इन साध्वियों को मुक्ति मिली हैं अौर वे वर्षों बाद अपने घर लौट गई हैं।
बाबा ने लगा रखी थी तरह-तरह की पाबंदी, सत्संग के दौरान पंडाल में नहीं जा सकती थीं
गुरमीत के जेल जाने के बाद घर लौटने वाली साध्वियों में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के गृह क्षेत्र लंबी के एक गांव की दो सगी बहनें भी शामिल हैं। बड़ी बहन की उम्र करीब 43 वर्ष है और छोटी बहन करीब 41 वर्ष है। वे जब से डेरे से लौटी हैं, घर के एक कमरे में बंद हैं। ग्रामीणों को भी इनके लौटने की खबर नहीं है।
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जागरण का प्रतिनिधि इनके घर पहुंचा तो परिजन दोनों बहनों को सामने नहीं लाए। हालांकि उन्होंने खुद डेरा में बेटियों की जिंदगी के बारे में ऐसे खुलासे किए, जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो गए। उनके भाई ने बताया कि डेरा में रहते हुए उसकी बड़ी बहन को करीब 30 साल और छोटी बहन को करीब 25 साल हो गए थे। दोनों अन्य सत ब्रह्मचारी महिलाओं के साथ रहती थीं। उन्हें अलग से आश्रम मिला हुआ था। वहां तक जाने की अनुमति किसी को नहीं थी। गुरमीत खुद तो सोशल मीडिया के प्रयोग करने की बातें करता था, लेकिन उनको मोबाइल तक रखने की इजाजत तक नहीं थी।
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पूरी जानकारी लेने के बाद करवाते थे बात
परिजनों के बीमार या मृत्यु होने पर ही डेरा संबंधित बहनों से बातचीत करवाता था। इसके लिए उन्हें डेरे में फोन पर सारी जानकारी देनी होती थी। अनुमति होती तो ही कॉल आगे फारवर्ड की जाती थी। यहीं नहीं साध्वियों की निगरानी के लिए एक व्यक्ति नियुक्त होता था, जिसे डेरा में सभी नंबरदार बुलाते थे।
दुष्कर्म मामले के बाद महिला नंबरदार की नियुक्ति हुई
उन्हाेंने बताया कि गुरमीत राम रहीम पर दुष्कर्म के आरोप लगे थे तो पुरुष नंबरदार को हटाकर महिला नंबरदार की नियुक्ति कर दी गई थी। परिजनों ने साथ में यह भी कहा कि सत ब्रह्मचारी महिलाओं की शिक्षा पुरुष नंबरदार से ज्यादा थी, इसलिए उसे हटाया गया था। हायर एजूकेशन का पैमाना क्या था, इसकी जानकारी परिजनों को भी नहीं है।
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प्रबंधकों की निगरानी में हो सकती थी मुलाकात
सत ब्रह्मचारी से मिलने की अनुमति किसी को नहीं थी। डेरा प्रबंधक अनुमति देते थे तो भी भाई या मां मिल सकते थे। वह भी आश्रम से दूर पार्क में, उस पर भी डेरा प्रबंधकों की निगरानी रहती थी।
डेरे की तलाशी होनी है, इसलिए घर भेजा
परिजनों के अनुसार, डेरे में तलाशी अभियान शुरू होना है। इस बारे में डेरे में बार-बार मुनादी हो रही है। डेरा प्रबंधकों ने 125 सत ब्रह्मचारियों से बातचीत करके उन्हें घर भेजा है।
शाह सतनाम महाराज से लिया था नामदान
दोनों सत ब्रह्मचारी बहनों की मां का परिवार लंबे समय से डेरे से जुड़ा हुआ था। मां डेरे में आती-जाती थी, इसलिए परिवार ने शाह सतनाम महाराज से नाम दान लिया। दसवीं कक्षा की परीक्षा के बाद बड़ी बेटी ने डेरे को ताउम्र के लिए बसेरा बनाया तो पांच साल बाद छोटी बेटी भी डेरे में चली गई। बीते 30 बरस में वह पिता की मौत या फिर नानी के बीमार होने पर ही घर आई थी। सत ब्रह्मचारी बहनों की एक छोटी बहन और एक भाई है जो विवाहित हैं।
डेरा प्रमुख के अलावा अन्य पुरुषों से बातचीत पर थी पाबंदी
सतब्रह्मचारी पर इतनी पाबंदियों होने के बाद उनका कार्य क्या था, इस पर परिजनों का कहना है कि इनके पास डेरे की पूरी साज संभाल होती थी। ये लोग गुरमीत राम रहीम और प्रबंधन के सबसे करीबी थे। डेरा प्रमुख के अलावा डेरा में अन्य पुरुषों से बातचीत करने पर भी पाबंदी थी। डेरा में कार्यरत पुरुष भी उनके आश्रम की ओर नहीं आ सकते थे।
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परिवार अब भी भक्त
दुष्कर्म के आरोप साबित होने पर भी उपरोक्त सत ब्रह्मचारियों का परिवार अब भी डेरा का गुणगान कर रहा है। आज तक उनकी बेटियों ने किसी तरह की शिकायत नहीं की है। उन्हें उम्मीद है कि डेरा को कानून से न्याय जरूर मिलेगा।
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