बेटे ने मां-बाप को वृद्धाश्रम में छोड़ा, बेटी ले गई अपने साथ
बेटे ने मां-पिता को घर से निकाल दिया अौर वृद्धाश्रम में छोड़ दिया। यहां तक की पिता की वृद्धाश्रम में मौत हो गई, लेकिन वह नहीं आया। बेटी मां की काफी मान-मनोव्वल कर अपने साथ ले गई।
कुरुक्षेत्र, [बृजेश द्विवेदी]। लोग बेटे के चक्कर मेें बेटियों की कोख में ही हत्या कर देते हैं। उनकी साेच होती है कि बेटा बुढ़ापे का सहारा है और बेटियां पराया धन व बोझ। लेकिन, कई बार हालात कुछ अलग ही दिखते हैं। यहां एक ऐसा हर एक मामला सामने आया। अंबाला के एक दंपती ने बेटे को बुढापे की लाठी समझकर पाला-पोसा, लेकिन जब उनकी उम्र का चौथा पड़ाव आया तो वह दोनों को वृद्धाश्रम छोड़ अाया। पिता की वृद्धाश्रम में मौत हो गई, इसके बाद भी बेटा नहीं आया। लेकिन, इस मुश्किल घड़ी में बेटी ने साथ नहीं छोड़ा अौर मां को अपने साथ ले आई।
इस घटना ने लोगों को बेटा आैर बेटी के फर्क करने की सोच पर बड़ा सवाल उठाया है। अंबाला कैंट स्थित पुरानी ट्रिब्यून कालोनी निवासी 79 वर्षीय ऊषा सच्चर और उनके पति सतीश सच्चर को पांच साल पहले बेटे रजत ने अपनी शादी के बाद घर से निकाल दिया। इसके बाद से वह दोनों कुरुक्षेत्र के प्रेरणा वृद्धाश्रम में रह रहे थे।
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उस समय पंजाब केे लुधियाना जिले में ब्याही बेटी मोनिका लेखी उनको अपने घर ले जाना चाहती थी, लेकिन उन दोनों को बेटी के ससुराल में रहना गवारा न था। बेटे के व्यवहार से अाहत पति-पत्नी वृद्धाश्रम में रहे थे। इसके बाद पिछले साल 22 अप्रैल को सतीश सच्चर का स्वर्गवास हो गया। उस समय भी बेटा नहीं आया और न ही उसने मांं का हाल जानना उचित समझा। बताया जाता है कि वृद्धाश्रम के संचालक ने पिता की मौत के बाद बेटे को कई बार फाेन किया, लेकिन उसने आने से साफ मना कर दिया। उसने आगे फोन करने से भी मना किया।
ऊषा सच्चर को विदाई देते वृद्धाश्रम के संचालक व वहां रह रहे लोग।
बेटी आती रही और मां काे अपने साथ चलने को कहा, लेकिन संतान से मिली चोट और लोक लाज के कारण वह बेटी के घर जाने को तैयार नहीं हुईं। मोनिका लगातार मां को अपने साथ ले जाने की जिद करने लगी। ऊषा सच्चर हर कष्ट सहने को तैयार थीं, लेकिन यह सोच कर कि बेटी के घर जाने पर लोग क्या कहेंगे वह उसके साथ जाने को तैयार नहीं हुईं।
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लेकिन, माेनिका ने हार नहीं मानी और आखिरकार मां को भी उसकी इच्छा के सामने झुकना पड़ा और वह उसके साथ जाने को तैयार हो गई। पेशे से शिक्षिका मोनिका के पति का अपना व्यवसाय है। 40 वर्षीय मोनिका बताती हैं कि उनके इस निर्णय में उनके पति ने भी पूरा साथ दिया।
वृद्धाश्रम से विदा होतीं ऊषा सच्चर।
सभी की आंखों में थे आंसू
शुक्रवार शाम को मोनिका लेखी जब अपनी मां को लेने आई तो वहां रह रहे वृद्धों की आंखें नम हो गईं। आश्रम संचालक जयभगवान सिंगला और प्रधान रेणु खुब्बर ने ऊषा सच्चर को फूल देकर विदा किया। ऊषा ने कहा कि आश्रम में उन्हें हमेशा घर जैसा माहौल मिला। आज मेरी बेटी मुझे अपने घर लेकर जा रही है, लेकिन यहां की याद हमेशा अाती रहेगी।
देखें तस्वीरें: बेटे ने बेसहारा छोड़ा तो बेटी ले गई मां को अपने साथ ...
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पहला मौका है जब कोई बेटी अपनी मां को घर ले गई : सिंगला
वृद्धाश्रम के संस्थापक जयभगवान सिंगला ने बताया कि पिछले 25 सालों से वे ऐसे 60 बुजुर्गों को उनके घरों तक पहुंचाने में सफल रहे हैं, लेकिन यह पहला अवसर है जब कोई बेटी अपनी मां को अपने घर लेकर जा रही है।
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