सर्कस में लड़कियों से होता था जानवरों जैसा सलूक, छोटे कपड़े पहनाकर किए गए जुल्म
एक सर्कस से आठ बंधवा मजदूर लड़कियों को पुुलिस ने छापेमारी कर मुक्त कराया है। लड़कियों असम और दार्जलिंग से खरीदकर लाई जाती थी। उन्हें ताले में बंद किया जाता था
जेएनएन, अंबाला। असम और दार्जिलिंग से से 10 हजार रुपये में लड़कियां खरीदकर उनसे सर्कस में काम कराया जाता है। इनको 1500 रुपये मासिक वेतन दिया जाता है। वह भी उनके फंड में जमा होता है किसी को भी नकद राशि नहीं दी जाती। शनिवार को जिला प्रशासन की टीम ने सेक्टर आठ के ग्राउंड में चल रही सर्कस में छापामारी की तो यह चौकाने वाला मामला सामने आया। आठ लड़कियों को छापामारी के दौरान टीम ने बरामद किया। इन सभी की उम्र 14 से 18 के बीच है। जैसे ही टीम सर्कस में पहुंची तो अधिकारियों को देखकर लड़कियां उनसे लिपटकर रोने लगीं।
बाल कल्याण समिति व जिला बाल संरक्षण की टीम ने बताया कि लड़कियों का मेडिकल कराकर सभी को काउंसिलिंग के बाद उन्हें पटियाला के आशियाना (शेल्टर होम) में भेजा जाएगा। दरअसल शनिवार को एसडीएम सतिंद्र सिवाच की अध्यक्षता में जिला बाल कल्याण, बाल संरक्षण, लेबर और स्वास्थ्य विभाग की टीम का गठन कर सर्कस में 14 साल या इससे कम उम्र के बच्चों की जांच के लिए सेक्टर आठ में छापामारी की गई।
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दोपहर करीब ढाई बजे टीम सर्कस में पहुंची। टीम से लड़कियों ने कहा कि उन्हें यहां से बचा लो, उन्हें जबरदस्ती बंधक बनाया गया है। इन युवतियों को रुपये मासिक वेतन दिया जाता था लेकिन वह भी उनके फंड में ही जमा होता है। नकदी किसी को नहीं दी जाती। टीम में सीडब्ल्यूसी सदस्य गुरदेव सिंह, जगमोहन सिंह, डीसीपीओ मेघा सिंगला, चाइल्ड लाइन से कॉर्डिनेटर रेखा शर्मा, एसएमओ डाक्टर राजेंद्र राय व अन्य मौजूद रहे।
पहनाए जाते छोटे कपड़े, ताले में रखा जाता बंद
लड़कियों ने बताया कि उन्हें जबरदस्ती छोटे-छोटे कपड़े पहनाए जाते हैं। उन्हें कई-कई दिनों तक एक ही ड्रेस पहनने को दी जाती है। यदि वह दूसरी ड्रेस मांगती हैं तो उनसे मारपीट होती है। युवतियों ने बताया कि उनमें से कोई भी भाग न सके इसीलिए उन्हें सर्कस में ताले लगाकर रखा जाता है।
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मंत्री से जुड़े खरीद-फरोख्त के तार
सेक्टर आठ में चल रही सर्कस के दौरान बरामद की गई आठ बंधवा मजदूर लड़कियों ने बड़ा पर्दाफाश किया है। एक लड़की ने बताया कि यदि उसे घर भेजा गया तो उसकी जान खतरे में पड़ सकती है। सर्कस मालिक का भाई मंत्री है। हालांकि यह पता नहीं चह पाया कि वह किस राज्य का कौन सा मंत्री है। लड़की ने बताया कि मंत्री के दबाव में किसी पर कोई भी कार्रवाई नहीं होती।
ज्यादातर लड़कियां पांचवी पास या अनपढ़ थीं। लड़कियों को बरामद कर सीडब्ल्यूसी कार्यालय पहुंचाया गया लेकिन इसके बाद पुलिस कार्रवाई से बचती रही। बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने महिला पुलिस कर्मी उपलब्ध कराने की बात कही तो पुलिस कन्नी काटती रही। इसके बाद एसपी अभिषेक जोरवाल से फोन पर बात कर सहायता मांगी तब जाकर करीब एक घंटे बाद पुलिस आई।
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भागने पर होती है पिटाई
काउंसिलिंग के दौरान लड़कियों ने बताया कि यदि उनके मां-बाप उनसे मिलने आते हैं तो उन्हें मिलने नहीं दिया जाता। न ही उन्हें उनके साथ जाने दिया जाता है। यदि कोई लड़की सर्कस से भाग जाती है तो दूसरी लड़कियों से पिटवाया जाता है।
बहन से आई थी मिलने
एक लड़की ने बताया कि उसकी बहन सर्कस में काम करती है। वह उससे मिलने आई थी। लेकिन उसे सर्कस के मालिक अहसान मोहम्मद ने जबरदस्ती बंधक बना लिया। पकड़ी गई किसी भी युवती के पास न तो कोई पहचान पत्र था न ही उनकी उम्र का कोई सर्टिफिकेट।
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कोई भी लड़की रो नहीं रही थी। रो तो उनकी बहनें रही थी जिनकी बहनों को टीम जबरदस्ती लेकर गई है। सभी लड़कियां मर्जी से आई थीं।
-सतपाल, मैनेजर सर्कस।
लड़कियों को जबरदस्ती सर्कस में बंधक बनाया गया था। लड़कियों ने बताया है कि उनसे मारपीट होती है। मां-बाप मिलने आते हैं तो मिलने नहीं दिया जाता।
-गुरदेव सिंह, बाल कल्याण समिति सदस्य।
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