दक्षिणी ध्रुव पर 40 लाख वर्ष में कार्बन का स्तर सबसे ज्यादा
दक्षिणी ध्रुव पर चालीस लाख वर्ष में पहली बार खतरनाक गैस की मात्रा 400 पाट्र्स प्रति मिलियन (पीपीएम) को पार कर गई है। ...और पढ़ें

वाशिंगटन, प्रेट्र। वायु प्रदूषण की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। पृृथ्वी के तमाम हिस्सों में कार्बन डाईऑक्साइड (सीओ2) की मात्रा साल दर साल बढ़ती जा रही है। इसी का नतीजा है कि दक्षिणी ध्रुव पर चालीस लाख वर्ष में पहली बार खतरनाक गैस की मात्रा 400 पाट्र्स प्रति मिलियन (पीपीएम) को पार कर गई है।
पिछले चार वर्षों से कार्बन की मात्रा में दो पीपीएम से ज्यादा की सालाना वृृद्धि दर्ज की जा रही है। अमेरिका के जलवायु वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि की है। जंगलों के घटते दायरे और जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में अभूतपूर्व वृृद्धि के कारण इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई है।
नेशनल ओसेनिक एंड एटमॉसफेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के वैश्विक ग्रीनहाउस गैस नेटवर्क के शीषर्ष वैज्ञानिक पीटर टांस ने ताजा स्थिति की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि दक्षिणी ध्रुव पृृथ्वी का अंतिम हिस्सा था, जहां के वायुमंडल में कार्बन की मात्रा 400 पीपीएम से कम थी। एनओएए ने वषर्ष 1958 से वायुमंडल में कार्बन की मात्रा पर नजर रखना शुरू किया था। पिछले साल कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा 399 पीपीएम थी।
शोधकर्ताओं के मुताबिक वषर्ष 2015 में कार्बन में 3.05 पीपीएम की वृृद्धि दर्ज की गई थी। पिछले 56 वषर्षों में कार्बन की मात्रा में यह रिकॉर्ड सालाना वृृद्धि थी। इसके लिए प्रशांत महासागर में पिछले कुछ वषर्षों से सक्रिय अल-नीनो को जिम्मेदार ठहराया गया है। वैज्ञानिकों ने पांचवें साल भी कार्बन की मात्रा में दो पीपीएम से ज्यादा की वृृद्धि की आशंका जताई है। बकौल टांस, इसके लिए मानवीय गतिविधियां मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।

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