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ब्रेन को प्रभावित करता है सुपरमून

वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी और चंद्रमा के नजदीक आने से गुरुत्वाकर्षण बल में भी बदलाव आता है। इससे मानसिक अवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 16 Nov 2016 02:54 PM (IST)Updated: Wed, 16 Nov 2016 03:03 PM (IST)
ब्रेन को प्रभावित करता है सुपरमून

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली : सोमवार को चंद्रमा 68 साल बाद पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब था। इस भौगोलिक घटना का जुड़ाव सीधे तौर पर इंसानों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ा होगा। विशेषज्ञों की मानें तो इससे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है।

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चंद्रमा सोमवार को आकार में 14 फीसद ज्यादा बड़ा और 30 फीसद अधिक चमकीला दिखा। वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी और चंद्रमा के नजदीक आने से गुरुत्वाकर्षण बल में भी बदलाव आता है। इससे मानसिक अवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। चंद्रमा और पृथ्वी के संयुक्त गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ज्वार की स्थिति उत्पन्न होती है। हमारे शरीर में पानी का हिस्सा बहुत ज्यादा है। लिहाजा इंसान में भी खिंचाव उत्पन्न होता है। ऐसी स्थिति में भावनात्मक प्रतिक्रियाएं तीव्र हो जाती हैं। इसकी वजह से ङ्क्षहसक घटनाएं और डिप्रेशन की घटनाएं बढ़ती हैं। 'वल्र्ड जर्नल ऑफ सर्जरी' में वर्ष 2011 में प्रकाशित सर्वेक्षण में इसकी पुष्टि की गई थी। चालीस फीसद से ज्यादा मेडिकल स्टॉफ ने चंद्रमा की स्थिति में बदलाव का मानव व्यवहार पर असर पडऩे की बात कही।

'द मून एंड मैडनेस' नामक किताब के लेखक और किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर डॉक्टर नियाल मैक्रे ने भी शरीर में मौजूद पानी में ज्वार और उसके कारण खिंचाव पैदा होने की बात स्वीकार की है। स्विटजरलैंड के शोधकर्ताओं ने भी फुल मून या सुपरमून के प्रभावों पर वर्ष 2013 में अध्ययन किया था। इसमें कहा गया कि इस भौगोलिक परिस्थिति में इंसान 20 मिनट तक कम नींद लेता है। मैक्रे ने भावनात्मक उन्माद की स्थिति पैदा होने की भी बात कही है। सुपरमून में अस्पतालों में मानसिक समस्या को लेकर भर्ती होने वाले रोगियों की संख्या बढऩे की भी बात कही जाती है।

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