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गुजरात हाईकोर्ट से हार्दिक पटेल को मामूली राहत

गुजरात हाईकोर्ट ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को आंशिक राहत दी है। उनके खिलाफ सरकार के खिलाफ युद्ध छोड़ने का आरोप खारिज कर दिया है, लेकिन राजद्रोह का मामला चलता रहेगा।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2015 05:40 AM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2015 05:46 AM (IST)

अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को आंशिक राहत दी है। उनके खिलाफ सरकार के खिलाफ युद्ध छोड़ने का आरोप खारिज कर दिया है, लेकिन राजद्रोह का मामला चलता रहेगा। सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की अधिकतम सजा मृत्युदंड है, जबकि राजद्रोह में अधिकतम सजा उम्रकैद है। इसी के साथ हाईकोर्ट ने आरक्षण व्यवस्था की आलोचना करते हुए इसे देश की प्रगति में बाधक माना है।

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मंगलवार को हार्दिक मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश जेबी पारडीवाला ने कहा, 'अगर कोई मुझसे उन दो चीजों के बारे में बताने को कहे, जिसने देश को तबाह किया या देश को सही दिशा में नहीं ब़़ढने दिया तो मैं कहूंगा वह हैं आरक्षण और भ्रष्टाचार। आजादी के इतने सालों के बाद इस देश के किसी नागरिक द्वारा आरक्षण की मांग करना शर्मनाक है। यह माना गया कि आरक्षण दस सालों के लिए रहेगा, लेकिन दुर्भाग्य से यह आजादी के 65 साल बाद भी जारी है। यह ऐसा दैत्य है जिसने लोगों में मनमुटाव के बीज बोए। किसी भी समाज में योग्यता का महत्व कमतर नहीं किया जा सकता है। योग्यता सकारात्मक लक्ष्य के लिए होती है। यह उन कामों को पुरस्कृत करने के लिए है जो अच्छी मानी जाती है।'

जस्टिस पारडीवाला ने कहा, 'भारत ही ऐसा देश होगा, जहां के लोग खुद को पिछ़़डा कहलाने के लिए लालायित रहते हैं।' उन्होंने पटेल नेताओं से कहा कि वह आरक्षण के लिए हिंसा करने की बजाए भ्रष्टाचार के खिलाफ ल़़डें। देश के सामने सबसे ब़़डा खतरा भ्रष्टाचार है। देशवासियों को हर स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ ल़़डना चाहिए। हार्दिक और उनके पांच अन्य साथियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में आईपीसी की धारा 121 ([सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना, 153--ए ([विभिन्न समुदायों के बीच दुश्मनी ब़़ढाना)] और 153--बी ([राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाले बयान देना)] को खारिज कर दिया। हालांकि कोर्ट ने आईपीसी की धारा 124 ([राजद्रोह)] और 121--ए ([सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचना)] को खारिज करने से इनकार कर दिया। इन धाराओं में उम्रकैद या 10 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है।

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