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क्या बीमा उत्पादों की पुनर्संरचना के बाद यूलिप योजनाओं ने बड़े स्तर पर वापसी की है? नहीं, हम नहीं मानते कि बीमा उत्पादों की पुनर्संरचना के बाद यूलिप की बिक्री में भारी तेजी आई है। अगर ऐसा होना होता तो 2010 के बाद भी इसी तरह का रुख देखने को मिलता।
क्या बीमा उत्पादों की पुनर्संरचना के बाद यूलिप योजनाओं ने बड़े स्तर पर वापसी की है?
नहीं, हम नहीं मानते कि बीमा उत्पादों की पुनर्संरचना के बाद यूलिप की बिक्री में भारी तेजी आई है। अगर ऐसा होना होता तो 2010 के बाद भी इसी तरह का रुख देखने को मिलता। हकीकत इसके ठीक उलट है। यूलिप की भागीदारी कम हुई है। यह शेयर बाजार की तेजी से जुड़ी हुई है।
आपको ऐसा क्यों लगता है कि जीवन बीमा कंपनियां यूलिप की बिक्री को प्रोत्साहित कर रही हैं? क्या सभी कंपनियां ऐसा कर रही हैं?
देखिए, शेयर बाजार की तेजी पर सवार होना सबसे आसान है। 2008 से पहले भी यूलिप को बेचने के लिए यही रास्ता अपनाया गया। यूलिप शेयरों के प्रदर्शन से संबद्ध हैं। इसलिए यह धारणा कि बाजार की थोड़े समय की तेजी यूलिप के रिटर्न को काफी बढ़ा देती है, सही नहीं है। इस रुख के चलते सभी कंपनियों का प्रदर्शन एक समान नहीं रहता। इसीलिए रिलायंस लाइफ यूलिप की बिक्री को प्रोत्साहित नहीं करती।
क्या यह सही रणनीति है? क्या यूलिप ग्राहकों की वित्तीय सेहत के लिए नुकसानदेह हैं?
ऐसा नहीं है। यूलिप अपने आप में बहुत अच्छा उत्पाद है। लेकिन इसे लंबी अवधि के उत्पाद के तौर पर ही बेचा जाना चाहिए। लेकिन सच्चाई यह है कि यूलिप को कम अवधि वाले उत्पाद के तौर पर प्रमोट किया और बेचा जाता है। इसकी वजह से यह ग्राहकों व बीमा कंपनियों दोनों के लिए नुकसानदेह होता है। जब बाजार में तेजी होती है तो सबसे ज्यादा निवेश यूलिप में आता है। लेकिन बाजार में गिरावट के साथ ही यूलिप योजनाओं के लैप्स होने प्रीमियम नहीं मिलने की दर बढ़ जाती है। नकदी के प्रवाह में यह गड़बड़ी बीमा कंपनी के लिए लंबी अवधि के रिटर्न के लक्ष्य पाने में बाधा बनती है। निवेशक भी गिरावट भरे बाजार में नुकसान उठाता है और उसका भरोसा बीमा बाजार में इस तरह के उत्पादों में कम होता है।
अगर लंबी अवधि के उत्पाद के तौर पर यूलिप को देखें तो आपको लगता है कि यह ग्राहकों के संपत्ति अर्जन में सहायक होता है?
एकदम सही बात है। लेकिन हम मानते हैं कि लंबी अवधि का मतलब कम से कम 10 वर्ष होना चाहिए। तभी यूलिप आपके लिए संपत्ति अर्जक उत्पाद साबित हो सकते हैं। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोई निवेशक यूलिप उत्पाद को दस साल तक जारी नहीं रख पाता। जैसे ही पांच साल की लाक इन अवधि खत्म होती है, यूलिप प्लान से निकलने का सिलसिला शुरू हो जाता है और कंपनियों पर भुगतान का दबाव बन जाता है। अगर लॉक इन अवधि के बाद यूलिप योजनाओं के प्रदर्शन को देखें तो फर्क समझ में आ जाता है।
रिलायंस लाइफ की क्या रणनीति है? पारंपरिक व यूलिप उत्पादों के बीच अनुपात क्या है?
हमारी कंपनी के बीमा उत्पादों में यूलिप की हिस्सेदारी 26 फीसद है। बाकी 74 फीसद प्लान पारंपरिक बीमा उत्पाद हैं। उत्पादों के बीच यही संतुलित मिश्रण है। यह हमारे ग्राहकों की जोखिम उठाने की क्षमता को भी दर्शाता है। ग्राहकों का एक वर्ग है, जो ऐसे उत्पादों के जोखिम समझता है। इसलिए इन उत्पादों की बिक्री बाजार की समझ रखने वाले उन्हीं ग्राहकों को की जाती है।
क्या यूलिप को लेकर अभी और जागरूकता पैदा करने की जरूरत है?
बिल्कुल। ग्राहकों को अभी यूलिप के बारे में और शिक्षित करना होगा। यही जागरूकता उन्हें अपने
निवेश संबंधी फैसले लेने में काम आएगी। यूलिप की बिक्री सिर्फ शेयर बाजार की कहानी से ही संचालित नहीं होनी चाहिए।
अनूप राउ
सीईओ, रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस
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