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ओम पुरी की जुबानी : " कुछ राज़ तो दफ़न भी नहीं होते ज़नाब "

हाल के दिनों में ओम पुरी अलग अलग कारणों से चर्चा में रहे लेकिन इस दौरान उन्होंने अपने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ से जुड़ी कई बातें जागरण डॉट कॉम से शेयर की थीं।

By Manoj KhadilkarEdited By: Published: Fri, 06 Jan 2017 11:52 AM (IST)Updated: Fri, 06 Jan 2017 09:21 PM (IST)
ओम पुरी की जुबानी : " कुछ राज़ तो दफ़न भी नहीं होते ज़नाब "

मुंबई। हिंदी सिनेमा को करीब चार दशक तक अपनी ' कद्दावर' आवाज़ और बेहतरीन अभिनय से सराबोर करने वाले ओम पुरी जितने सादगी पसंद थे , उतने ही बिंदास और बेबाक भी। अपनी दिल की बात खुल कर बोलने में उन्हें कभी संकोच नहीं हुआ। फिर वो चाहे किसी को चुभें या उस बात को लेकर हंगामा खड़ा हो जाए।

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हाल के दिनों में ओम पुरी अलग अलग कारणों से चर्चा में रहे लेकिन इस दौरान उन्होंने अपने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ से जुड़ी कई बातें जागरण डॉट कॉम से शेयर की थी। ओम पुरी आज इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी कुछ रोचक बातों का पिटारा हमारे पास है।

मुझे देखते ही सब्जी वाला दाम बढ़ा देता है -

बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक अपने एक्टिंग के जरिये बड़े बड़ों के सिर झुकाने वाले ओम पुरी अक्सर अपने मोहल्ले के सब्जीवालों से हार जाया करते थे। उन्होंने बताया था " अगर आपको लगता है कि फिल्मों में काम करने वाले लोग अपने घर की खरीदारी नहीं करतें तो ये आपकी गलत सोच है। मैं आज भी बाजार में खुद सब्जी लेने जाता हूं और सब्जीवाले से उसकी ही भाषा में खूब मोल भाव भी करता हूँ। मेरे घर के पास आमतौर पर सब्जी बेचने वाले उत्तर प्रदेश के होते हैं तो उनसे मैं उनकी भाषा में ही भाव-ताव करता हूँ लेकिन मुझे देखकर वो सब्जी के दाम भी बढ़ा देते हैं।हालांकि मुझे इस बात से कोई नाराजगी नहीं है।"

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दाल से दुश्मनी -

ओम पुरी ऐसे कुछ फनकारों में से थे जिन्हें खाना बनाने का भी शौक था। लेकिन हाल के दिनों में उनकी दाल से ' दुश्मनी ' हो गई थी। कारण था कुछ समय पहले दाल की आसमान छूती कीमतें। कहते थे " बढ़ती महंगाई से काफी दिक्कत है भाई । आजकल तो दाल बनाते समय 100 ग्राम दाल में डेढ़ किलो पानी डालना पड़ता है। सरकार को खाद्य पदार्थों की वितरण प्रणाली पर ध्यान देना होगा, नहीं तो आम आदमी का क्या होगा।

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सलमान खान से बेहद लगाव-

ओम पुरी और सलमान खान की बॉन्डिंग भले ही पार्टी-शार्टी वाली न हो लेकिन काम के मामले में दोनों की खूब जमती थी। ओम पुरी ने सलमान खान के साथ 'लंडन ड्रीम्स ' और ' दबंग ' के काम किया और फिर ' बजरंगी भाईजान ' में भी। इतना ही नहीं वो कबीर खान डायरेक्टेड , सलमान की आने वाली फिल्म ' ट्यूबलाइट ' में भी हैं। ओम पुरी ने बताया था " मेरी चाइना वार पर बन रही फिल्म ट्यूबलाइट में सलमान खान मेंटली चैलेंजिंग लड़के के किरदार में हैं वहीं सोहेल एक फौजी भी भूमिका में हैं। मैं इस फिल्म में एक अनाथ आश्रम चलाता हूं, जहां सलमान और सोहेल की परवरिश होती है।"

आर्ट फिल्मों से घर नहीं चला करते बर्खुरदार -

' अर्ध सत्य ' और ' आक्रोश ' जैसी फिल्मों में काम करने वाले ओम पुरी ने कभी भी आर्ट सिनेमा से मुंह नहीं मोड़ा लेकिन मसाला फिल्मों से नाता बनाये रखा। कहते थे - "संजीदा और सार्थक फिल्में करता हूं ताकि अपने अंदर के एक्टर को संतुष्ट कर सकूं और कॉमर्शियल करता हूँ ताकि घर का खर्च अच्छे से चल सके। अगर मैं सार्थक फिल्मे ही करता रहता तो आज तक अपना घर नहीं खरीद पाता।"

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मेरी आवाज़ कोई दबा नहीं सकता -

अमरीश पुरी, रज़ा मुराद , कबीर बेदी और नसीरुद्दीन शाह की तरह ओम पुरी को भी बुलंद आवाज़ का मालिक माना जाता था और यही कारण था कि टीवी कमर्शियल से लेकर फिल्मों के वॉयसओवर के लिए ओम पुरी हमेशा से पहली पसंद हुआ करते थे। वैसे पिछले दिनों वो ' मिर्ज़्या ' बनाने वालों से दुखी हो गए थे। कारण फिल्म में उनकी आवाज़ को ही गायब कर दिया गया था।ओम पुरी ने कहा था " राकेश ओमप्रकाश से जा कर कहिये कि अब से वो बड़ा रोल दिया करें। मेरा रोल और सूत्रधार के बारे में जो भी सवाल हो वो आप मिर्ज़्या के निर्देशक से पूछे कि मेरा नरेशन और किरदार छोटा क्यों है। और बीच में सूत्रधार गायब कहाँ हो जाता है।

पाकिस्तान भी करता था बेहद प्यार -

पड़ोसी पाकिस्तान भले ही बॉलीवुड की फिल्मों से हिचकिचाता हो लेकिन ओम पुरी को हमेशा ही पाकिस्तान में अटेंशन मिला है। पिछले दिनों वो अपनी पहली पाकिस्तानी प्रोडक्शन फिल्म ' एक्टर इन लॉ ' में काम कर पाकिस्तान से लौटे थे। उड़ी हमले के बाद खराब रिश्तों के बावजूद पाकिस्तानी लोगों से उनका लगाव कम नहीं हुआ था। कहा - " हालात ख़राब होने पर हर कोई मुसीबत झेलता है, फिर चाहे वो कोई कलाकार हो या कारोबारी। मुझे ये बात समझ में नहीं आती कि आखिर ये नफ़रत की हवा कहां से आती है? मैं तो जब भी पाकिस्तान गया मुझे वहां मोहब्बत और मेहमाननवाज़ी ही दिखाई दी। मेरा मानना है कि दोनों देशों में 95 फ़ीसद लोग सेक्यूलर हैं। सिर्फ पांच फ़ीसदी लोग ऐसे होंगे, जिन्हें आप कट्टरपंथी या दहशतग़र्द कह सकते हैं। उन्हीं की वजह से दोनों मुल्कों की बदनामी हो रही है।"

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गांधी जी के रास्ते पर चलना है-

पिछले दिनों ओम पुरी ने फिल्म 'गांधीगिरि' में भी काम किया था। बताया " गांधीगिरी जैसी फिल्म को करने के पीछे वजह थी, मेरा रायसाहब का किरदार है वो मुझे बहुत पसंद आया। रायसाहब मॉरीशस के रहने वाले हैं लेकिन अपने बुढापे में भारत आतें हैं और गांधी जी के बताये मार्ग पर चलकर देश और समाज के लिए भलाई के काम करना चाहतें हैं। कुछ इस किरदार की तरह ही मैं भी अपने असल ज़िन्दगी में काम करना चाहता हूं।"

शास्त्री जी के नारे के कायल -

पिछले दिनों ओम पुरी सैनिकों पर एक बयान दे कर फंस गए थे , लेकिन उनके दिल में देश के जवानों के लिए सम्मान की कोई कमी नहीं थी। कहा था - "देश में जय जवान- जय किसान का नारा फिर से लागू होना चाहिए क्योंकि किसान और जवान दोनों परिस्थिति और कुदरत से हमेशा लड़ते है। जहां किसान प्राकृतिक बाढ़ और सूखा से, वहीं देश का जवान माईंनस डिग्री में देश की रक्षा के लिए।"


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