पिता के मृत शरीर को कार में रखा और... जानिए शाह रुख़ की ज़िंदगी का सबसे दुखद राज़
मां ने सुबकते हुए मेरी ओर देखकर कहा, "बेटा, तुमने गाड़ी चलाना कब सीखा?" मैंने उस बारे में सोचा और एहसास हुआ। मैंने मां से कहा, "बस अभी, मां।"
मुंबई। शाह रुख़ ख़ान आज भले ही बॉलीवुड के सुपरस्टार हों और मन्नत में उनकी जन्नत हो, मगर हमेशा ऐसा नहीं था। एक वक़्त था, जब किंग ख़ान को अपने पिता के मृत शरीर को ख़ुद ही घर ले जाना पड़ा, क्योंकि ड्राइवर को टिप मिलने की उम्मीद नहीं थी।
शाह रुख़ ने अपनी ज़िंदगी को ये दुखद राज़ हाल ही में हुई टेड टॉक में खोला। शाह रुख़ ने कहा, ''मुझे याद है वो रात जब मेरे पिता की मृत्यु हुई थी, और मुझे याद है पड़ोसी का वो ड्राइवर जो हमें अस्पताल लेकर जा रहा था। बड़बड़ाते हुए वो बोला 'मरे हुए लोग टिप भी अच्छी नहीं देते' और अंधेरे में चला गया। मैं तब सिर्फ़ 14 का था, और मैंने अपने पिता के मृत शरीर को कार की पिछली सीट पर रखा। मेरी मां मेरे साथ बैठीं, मैंने अस्पताल से घर की ओर कार चलाना शुरू कर दिया। मां ने सुबकते हुए मेरी ओर देखकर कहा, "बेटा, तुमने गाड़ी चलाना कब सीखा?" मैंने उस बारे में सोचा और एहसास हुआ। मैंने मां से कहा, "बस अभी, मां।"
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शाह रुख़ के पिता मीर ताज मोहम्मद ख़ान मौजूदा पाकिस्तान के पेशावर में फ्रीडम फाइटर थे। बंटवारे के बाद वो दिल्ली आ गए थे, जहां रेस्टॉरेंट का कारोबार शुरू किया। शाह रुख़ की परवरिश मिडिल क्लास माहौल में हुई थी।
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टेड टॉक में अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए शाह रुख़ आगे कहते हैं, ''उस रात के बाद से, मानवता की किशोरावस्था की तरह, मैंने जीने के रूखे तरीके सीख लिए। और सच कहूं तो, उस समय जीने का अंदाज़ बहुत ही साधारण था। आपको जो मिलता था वह खा लेते थे और जो कहा जाता था वह कर देते थे। मैं 'सिलिएक' को एक सब्ज़ी समझता था, और "वीगन", तो अवश्य ही स्टार ट्रेक के मि. स्पॉक का बिछड़ा हुआ यार था।''
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