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    जब शबाना आजमी को हर कोई कहने लगा-ओह, अाप तो मुस्लिम हैं

    असहिष्‍णुता के मुद्दे पर देश में चल रही बहस में बॉलीवुड अभिनेत्री शबाना आजमी भी शामिल हो गई हैं। लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्‍होंने कहा, ‘1992 में मुझे पहली बार इस बात का अहसास हुआ कि मैं मुसलमान हूं। हर कोई कहने लगा, ‘ओह, आप तो मुस्लिम

    By Pratibha Kumari Edited By: Updated: Sun, 29 Nov 2015 04:12 PM (IST)

    नई दिल्ली। असहिष्णुता के मुद्दे पर देश में चल रही बहस में बॉलीवुड अभिनेत्री शबाना आजमी भी शामिल हो गई हैं। लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, ‘1992 में मुझे पहली बार इस बात का अहसास हुआ कि मैं मुसलमान हूं। हर कोई कहने लगा, ‘ओह, आप तो मुस्लिम हैं।’ हालांकि उन्होंने कहा, ‘देश में मजहब को पहचान बनाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन भारत इसके लिए जाना नहीं जाता।’

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    जब शबाना से पूछा गया कि आपको पांच नेशनल अवॉर्ड मिले हैं तो क्या आप भी अवॉर्ड वापसी की मुहिम में शामिल होंगी? इस पर शबाना ने कहा, ‘मेरे पिता कैफी आजमी ने बहुत साल पहले पद्मश्री अवॉर्ड वापस कर दिया था।’ शबाना ने बताया कि जब यूपी में उर्दू को दूसरी भाषा के तौर पर रखने की मांग हुई थी तो एक नेता ने कहा था कि ऐसी मांग रखने वालों को गधे पर उल्टा बैठाकर मुंह काला करके घुमाना चाहिए। उन्होंने उसी बात के विरोध में अपना पद्मश्री अवॉर्ड लौटा दिया था।

    उन्होंने कहा कि असहिष्णुता को खत्म नहीं किया जा सकता है, लेकिन जब यह लॉ एंड ऑर्डर की समस्या बन जाए तब सरकार को कदम उठाने चाहिए। सरकार की परिपक्वता इस बात से दिखती है कि उसने हालात को किस तरीके से संभाला। शबाना के मुताबिक, हमारे देश को गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है। मिलीजुली संस्कृति ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। इसको महफूज रखना ही हिंदुस्तान को महफूज रखना है।

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    उन्होंने कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा, ‘कश्मीरी हिंदू और कश्मीर के मुसलमानों की मिसाल देखिए। उनके मजहब अलग हैं, लेकिन दोनों के कल्चर एक हैं। कश्मीर का मुसलमान अपने आपको तमिलनाडू के मुसलमान से कल्चर के बेस पर अलग पाता है, लेकिन कश्मीरी हिंदू के करीब। यही हमारे समाज की खूबसूरती है।’