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    Multiplex एसोसिएशन की मांग, सिनेमा टिकट पर लगाए गये 28 प्रतिशत GST को 18 प्रतिशत किया जाए

    By Rahul soniEdited By:
    Updated: Sun, 23 Jul 2017 12:45 PM (IST)

    अगर जीएसटी के साथ लोकल बॉडी टैक्स टिकट पर लगाया गया तो हो सकता है कि देश के कई सिनेमाघर बंद हो जाएंगे।

    Multiplex एसोसिएशन की मांग, सिनेमा टिकट पर लगाए गये 28 प्रतिशत GST को 18 प्रतिशत किया जाए

    मुंबई। इंडियन गवर्नमेंट द्वारा इम्प्लीमेंट किए गए गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) को लेकर द मल्टीप्लेस एसोसिएशन अॉफ इंडिया (एमआईए) ने अपनी बात रखी है। 

    एमआईए की तरफ से जारी की गई प्रेस रिलीज़ में बताया गया है कि, जीएसटी में जिस तरह सिनेमा इंडस्ट्री को ट्रीट किया गया है उसको लेकर एमआईए चिंतित है। अभी सिनेमा एग्जीबिशन सेक्टर में टिकट की कीमत पर टैक्स 19 प्रतिशत है। लेकिन जीएसटी के तहत 28 प्रतिशत का रेट (100 रुपए से ज्यादा की टिकट पर जो टिकट बिक्री के 90 फीसदी से ज्यादा है) कॉस्ट को बढ़ा देगा अगर इंडस्ट्री इसे अपना लेती है। इससे सिनेमा इंडस्ट्री पर एडवर्स इम्पैक्ट होगा। साथ ही लोकल बॉडीज़ द्वारा लगाया जाने वाला एंटरटेनमेंट टैक्स जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है। इसलिए इस बात की बहुत ज्यादा संंभावना है कि लोकल बॉडीज़ जीएसटी के अलावा एंटरटेनमेंट टैक्स भी लगाएंगी। कई राज्यों ने इसको लेकर अपनी राय जताते हुए एेलान किया है कि वो लोकल बॉडीज़ को सिनेमा पर एंटरटेनमेंट टैक्स लगाने के लिए परमिट करेंगी। परिणामस्वरूप फिल्म इंडस्ट्री फिर उन सेक्टर्स में शामिल हो जाएगी जो डबल टैक्सेशन वाली केटेगरी में हैं।

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    अत्यधिक जीएसटी के ऊपर लोकल बॉडी एंटरटेनमेंट टैक्स से इंडस्ट्री को खतरा है। एमआईए का मानना है कि, अगर जीएसटी के साथ लोकल बॉडी टैक्स भी सिनेमा पर लगाया गया तो कुछ सिनेमाघर बंद होने की कगार पर आ जाएंगे। इंडियन फिल्म इंडस्ट्री पर जीएसटी का कम रेट लगना चाहिए। अगर एेसा निर्णय लिया जाता है तो ग्रोथ, इनवेस्टमेंट और एम्प्लॉयमेंट जनरेशन में हेल्प मिलेगी। मतलब, कम रेट या सिंगल डिजिट में जीएसटी रेट लगाए जाने से सिनेमा इंडस्ट्री में होने वाले पाइरेसी और ब्लैक-मार्केटिंग से बचा जा सकेगा। इसलिए हमारी गवर्नमेंट से गुजारिश है कि, सिनेमा टिकट पर लगाया गया 28 फीसदी जीएसटी को 18 फीसदी किया जाए। साथ ही कोई एडिशनल लोकल बॉडी एंटरटेनमेंट टैक्स न लगाया जाए जिससे टैक्सेशन रेट्स बढ़ जाएं।

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    मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन अॉफ इंडिया के प्रेसिडेंट दीपक अशर ने लोकस बॉडी टैक्स और जीएसटी को लेकर कहा है कि जीएसटी के तहत सिनेमा एक्जीबिशन इंडस्ट्री को जिस तरह से ट्रीट किया गया है इसको लेकर सिनेमा ओनर्स चिंतित हैं। यह बहुत अनुचित है कि इंडिया में फैमिली और सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर का महत्वपूर्ण एलिमेंट जो इंडियन पब्लिक को एंटरटेन करता है उस पर 28 फीसदी का हाईएस्ट रेट लगाया गया है। साथ ही जीएसटी से लोकल बॉडी एंटरटेनमेंट टैक्स को बाहर रखा गया है, जिससे अलग-अलग राज्य अब जीएसटी के साथ सिनेमा पर एंटरटेनमेंट टैक्स भी लगाने के लिए वहां की लोकल बॉडीज़ को अॉथेराइज कर सकती है। जीएसटी के साथ यह अलग से लोकल बॉडी एंटरटेनमेंट टैक्स इंडस्ट्री के लिए ठीक नहीं है, चूंकि यह हाइ लेवल का टैक्सेशन और पायरेसी में इंडस्ट्री को लॉस होगा। अगर जीएसटी के साथ लोकल बॉडी टैक्स सिनेमा टिकट पर लगाया गया तो हो सकता है कि देश के कई सिनेमाघर बंद हो जाएंगे जैसा कि कुछ स्टेट्स से यह बात सामने भी आई है।