ऑस्कर के लिए भारत की ओर से नामिनेट हुई मराठी फिल्म 'कोर्ट'
मराठी फिल्म कोर्ट 88वें एकेडमी पुरस्कारों में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी। श्रेष्ठ विदेशी भाषा की श्रेणी में अन्य देशों की फिल्मों से टक्कर लेगी।
मुंबई। फिल्म निर्देशक चैतन्य ताम्हणे की मराठी फिल्म 'कोर्ट' 88वें एकेडमी पुरस्कारों में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी। इस साल एकेडमी पुरस्कारों को भेजी जाने वाली ज्यूरी के प्रमुख फिल्म अमोल पालेकर हैं। यह जानकरी फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के जनरल सेक्रेटरी सुपर्ण सेन ने दी।
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इस बारे में सुपर्ण सेन ने बताया, इस साल मराठी फिल्म 'कोर्ट' का चयन ऑस्कर की दौड़ में किया गया है। इस दौड़ में 'कोर्ट" ने 'हैदर", 'पीके", 'मसान", 'अग्ली", 'मैरी कॉम" जैसे प्रबल दावेदार थे। हालांकि इस साल ऑस्कर में भारत की और से 30 फिल्म भेजी गई है।
वह एकेडमी पुरस्कारों में श्रेष्ठ विदेशी भाषा की श्रेणी में अन्य देशों की फिल्मों से टक्कर लेगी। यह फिल्मकारों के लिए प्रेरणा का विषय है कि महज 28 साल के युवा चैतन्य ताम्हणे की फिल्म आस्कर पुरस्कारों में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी।
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महाराष्ट्र की पृष्टभूमि पर आधारित यह फिल्म कोर्ट के भीतर और बाहर होने वाले बेवजह की कानूनी प्रक्रियाओं पर करारा प्रहार करती है। यह फिल्म जाहिर करती है कि किस कदर कोर्ट में न्याय प्रक्रिया का मजाक उड़ता है।
वकीलों के दांव पेचों को दर्शाया गया है, जहां शहर के लोगों की आशाओं और सपनों के संग खिलवाड़ किया जाता है। इस फिल्म में यह भी बताया गया है कि आम आदमी के लिए न्याय पाना खासा महंगा व मुश्किल हो चुका है।
फिल्म में मंझे हुए कलाकारों की भरमार है चाहे वे वीरा सथिदर, विवेक गोबर हों या फिर अभिनेत्री गीतांजलि कुलकर्णी। फिल्म की भाषा का भी विशेष ध्यान रखा गया है ताकि आम आदमी तक फिल्म का संदेश आसानी से पहुंचाया जा सके। यह फिल्म वकील, जज और आम आदमी की जिंदगी से भी रूबरू कराती है।
इस बात पर खुशी जताते हुए चैत्नय ताम्हणे ने कहा, 'हम ज्यूरी और इस फिल्म का समर्थन देने वालों लोगाें का शुक्रिया अदा करते हैं। फिल्म ने हमें हमारी उम्मीदों से बढ़कर दिया है। पहले नेशनल अवार्ड और अब ऑस्कर के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करना, हमारे लिए बड़े गर्व की बात है। हमने फिल्म से ज्यादा अपेक्षाएं नहीं की थी। लेकिन अब जिस तरह का सम्मान इस फिल्म को मिल रहा है, वह हैरान और खुश कर देने वाला है।'
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आपको बता दें, फिल्म कोर्ट को इस साल बेस्ट पिचर के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड के लिए भी नामांकरण किया गया है। इसके अलावा पिछले साल वेनिसी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में इस फिल्म को 17 अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड से सम्मानित भी किया गया था।
यह फिल्म फोक सिंगर जतिन मराड़ी की सत्य घटना पर आधारित है। जो कोर्ट में ही आत्महत्या कर लेता है। फिल्म में जतिन को बम ब्लास्ट में दोषी पाया जाता है। और वह खुद को न्याय दिलाने के लिए कोर्ट में चक्कर काटता रहता है। और बाद में न्यायिक प्रक्रिया की देरी की वजह से परेशान होकर वह आत्महत्या करने का मजबूर हो जाता है।
बेस्ट फॉरेन कैटेगरी में भारत ने आज तक कोई भी ऑस्कर नहीं जीता है। इससे पहले ऑस्कर के लिए आखिरी 5 की श्रेणी में फिल्म डायरेक्टर आशुतोष गाेवारिकर की फिल्म लगान शामिल हो चुकी है। इन पांच में मदर इंडिया और सलाम बॉम्बे भी शामिल हो चुकी हैं।
28 फरवरी 2016 को 88वां एकेडमिक अवॉर्ड सेरेमनी का आयोजन किया जाएगा।