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    दिलीप कुमार की हिट फिल्में

    By Edited By:
    Updated: Mon, 18 Nov 2013 01:08 PM (IST)

    मुंबई। फिल्म 'ज्वार भाटा' से लेकर 'मिलन' तक अदाकारी को लेकर समीक्षकों की खरी-खोटी सुन चुके दिलीप कुमार के दिन 'शहीद' से फिरने लगे। वह उनके लिए तब तक क ...और पढ़ें

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    मुंबई। फिल्म 'ज्वार भाटा' से लेकर 'मिलन' तक अदाकारी को लेकर समीक्षकों की खरी-खोटी सुन चुके दिलीप कुमार के दिन 'शहीद' से फिरने लगे। वह उनके लिए तब तक की सबसे सफल फिल्म साबित हुई। समीक्षकों ने उनकी जमकर तारीफ की। 'शहीद' के बाद उसी साल उन्होंने एक और हिट फिल्म 'मेला' दी। फिल्म में वे नरगिस के अपोजिट थे, जो उन दिनों दिलीप कुमार से बड़ी स्टार थीं। दिलीप कुमार स्क्रिप्ट को लेकर बेहद चूजी माने जाते थे, पर 'मेला' को उन्होंने बगैर स्क्रिप्ट पढ़े साइन कर लिया। उन्हें दरअसल फिल्म का एक गाना बहुत पसंद आया था। उसे सुनकर ही उन्होंने फिल्म साइन कर ली। उस गाने के बोल थे 'मेरा दिल तोड़ने वाले..'। दिलीप कुमार कहते हैं, 'मैं तो वह गाना सुनकर ही अचंभित रह गया। उसने मुझे बांध लिया। मैंने फिल्म साइन कर ली।'

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    पढ़ें:सीखने-सिखाने का सफर

    दिलीप कुमार का मानना सही था। उस फिल्म में संगीत नौशाद ने दिया था और 'मेला' उस साल की सबसे बड़ी म्यूजिकल हिट फिल्म रही। समीक्षकों को हालांकि वह पसंद नहीं आई, पर फिल्म गोल्डन जुबली मनाई। उसे महारानी एलिजाबेथ-2 को उनके याट में 1954 में दिखाया गया, जब वे दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा पर आई थीं। तो 'मेला' ने दिलीप कुमार को बड़े स्टार के तौर पर स्थापित कर दिया। उसके बाद नौशाद और लेखक अज्म बाजिदपुरी की टीम बनी। 'मेला' के निर्माता-निर्देशक भी उस टीम में थे। सबने टीम के तौर पर इकट्ठी कई फिल्में बनाई। दिलीप कुमार-नरगिस की ऑनस्क्रीन जोड़ी भी बेहतरीन साबित हुई। दोनों की जोड़ी स्क्रीन पर धमाल मचाती रही। नौशाद भी दिलीप कुमार के करियर के लिए कई मायनों में बहुत अहम साबित हुए। नौशाद ने ही निर्माता-निर्देशक महबूब खान को दिलीप कुमार का नाम 'अंदाज' के लिए सुझाया। नौशाद दिलीप कुमार के परिवार के भी काफी करीब होते चले गए।

    पढ़ें:असफलताओं से हुए दो-चार

    'शहीद' और 'मेला' के बाद आई फिल्म 'नदिया के पार'। उसने हिट की तिकड़ी बना दी। समीक्षकों ने फिल्म को तकनीकी रूप से आकर्षक बताया। अभिनेत्री कामिनी कौशल के प्रदर्शन की जमकर तारीफ की। दिलीप कुमार की अदाकारी मगर समीक्षकों को इंप्रेस नहीं कर सकी। बहरहाल लगातार तीन हिट फिल्में देकर दिलीप कुमार की हिट फिल्मों का औसत बेहद जबरदस्त हो गया, लेकिन फिर उनसे एक चूक हुई और वे एक कदम पीछे आ गए। 'नदिया के पार' के बाद उनकी फिल्म आई 'घर की इज्जत'। फिल्म की कहानी और निर्देशन काफी लचर थी। लिहाजा समीक्षकों के साथ-साथ इस बार दर्शकों ने भी फिल्म को खारिज कर दिया। एक पत्रिका ने तो उनकी घनी भौंह के चलते चिड़ियाघर से निकला हुआ भालू तक कह दिया, जो हर बार एक ही तरह की परफॉर्मेस दे रहा है।

    क्रमश:

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