शास्त्रीय गायिका वसुंधरा कोमकली का निधन
शास्त्रीय संगीत के पुरोधा पं. कुमार गंधर्व की पत्नी व ख्यात शास्त्रीय गायिका पद्मश्री वसुंधरा कोमकली का निधन हो गया है। वह 85 साल की थीं। उनके निधन की खबर से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई।
देवास। शास्त्रीय संगीत के पुरोधा पं. कुमार गंधर्व की पत्नी व ख्यात शास्त्रीय गायिका पद्मश्री वसुंधरा कोमकली का निधन हो गया है। वह 85 साल की थीं। उनके निधन की खबर से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई। उनके निधन को सभी ने संगीत के लिए अपूरणीय क्षति बताया। कोमकली को पद्मश्री के अलावा संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, संगीत प्रवीण सहित अन्य कई पुरस्कार मिले हैं। खयाल गायकी के साथ ही लोकगीत व भजनों को भी उन्होंने अपनी सुरीली आवाज में पिरोया।
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23 मई 1931 जमशेदपुर में जन्मी श्रीमती कोमकली ने संगीत की शिक्षा प्रो. बीआर देवधर से ली। इसके बाद पं. कुमार गंधर्व से शास्त्रीय संगीत की बारीकियां सीखीं। कुमारजी से विवाह के बाद 1963 में वे देवास आईं। कई दशकों तक उनकी सुरमयी साधना जारी रही। संगीत में अतुलनीय योगदान के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति स्व. एपीजे अब्दुल कलाम ने वर्ष 2006 में उन्हें पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित किया। उनकी बेटी कलापिनी कोमकली प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका हैं। पोता भुवनेश कोमकली भी शास्त्रीय गायक है। श्रीमती कोमकली ने करीब तीन साल पहले बैंगलुरू में गायन की अंतिम प्रस्तुति दी थी, इसके बाद से वे अस्वस्थ थीं।
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उम्र की अधिकता के बावजूद वसुंधराजी का संगीतप्रेम नहीं डिगा। अपने निवास भानूकुल में सजने वाली सुरों की महफिल में तो वे पूरे समय मौजूद रहती ही थीं मल्हार स्मृति मंदिर में होने वाले संगीत समारोह में भी शिरकत करती थीं। उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी भोपाल द्वारा आयोजित किए जाने वाले पं. कुमार गंधर्व समारोह के साथ ही कुमार गंधर्व प्रतिष्ठान द्वारा करवाए जाने वाले कार्यक्रमों में आकर वे कलाकारों का हौसला बढ़ाती थीं। वसुंधराजी ने देश के अनेक संगीत समारोह में अपने सुरों का जादू बिखेरा है।
कुमारजी से संगीत की तालीम लेने के साथ ही वसुंधराजी गायन में उनका साथ देती थीं। कभी तानपुरा संभालकर पृष्ठ में रहने वाली वसुंधराजी देखते ही देखते कुमारजी के साथ अपने सुरों को साधने लगीं। कई सुरीली सभाओं में उन्होंने कुमारजी का साथ दिया। गीत वर्मा, गीत हेमंत, गीत वसंत, रितुराज महफिल, तुलसीदास एक दर्शन, ठुमरी टप्पा तराना महफिल आदि कई संगीत समारोह में उन्होंने कुमारजी का साथ दिया।
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कुमार साहब के साथ वसुंधरा कोमकली के सहगायन का एलबम 'त्रिवेणी' एचएमवी ने निकाला था। यह बहुत प्रसिद्घ हुआ था। उनके पोते भुवनेश कोमकली बताते हैं कि इस गायन में पता ही नहीं चलता है कि कहां एक आवाज है और कहां दूसरी आवाज।
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