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    शर्मिला है 'जंजीर' का विजय

    By Edited By:
    Updated: Thu, 29 Aug 2013 12:29 PM (IST)

    मुंबई। जंजीर कई मायनों में ऐतिहासिक फिल्म सिद्ध हुई थी। उसे और विजय के किरदार को पर्दे पर रीक्रिएट करने के संबंध में रामचरण कहते हैं, 'मेरे ख्याल से न ...और पढ़ें

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    मुंबई। जंजीर कई मायनों में ऐतिहासिक फिल्म सिद्ध हुई थी। उसे और विजय के किरदार को पर्दे पर रीक्रिएट करने के संबंध में रामचरण कहते हैं, 'मेरे ख्याल से निर्देशक जिस तरह किरदार गढ़ते हैं, उसका अनुकरण करना ही हर कलाकार की कार्यप्रणाली होती है। इस फिल्म के लिए निर्देशक ने काफी होमवर्क किया था। हमने उनके विजन को बस फॉलो किया।

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    पढ़ें:शादी के बंधन में बंधे रामचरण तेजाइस फिल्म को स्वीकार कर मैंने दवाब मोल लिया था। एंजॉयमेंट बिल्कुल नहीं था। हालांकि प्रेशर में काम करना अच्छा होता है। आप अलर्ट रहते हैं। एक डर था कि हमारी फिल्म की सीधी तुलना तो होगी ही। लिहाजा हमने पूरी सावधानी से काम किया ताकि चूक होने की संभावना कम रहे।

    'जंजीर' मेरे लिए क्या है, उसका जवाब मैं सरल शब्दों में दूंगा। यह मेरे लिए बस एक महान फिल्म है। नयी पीढ़ी को डिफाइन करने के लिए जिस किस्म के संवाद, एक्शन या कहानी होनी चाहिए, वे सब फिल्म में हैं। इसे करने के पीछे कोई खास अर्ज नहीं थी। मैं निजी जिंदगी में बेहद शाई हूं। मुझे अपनी दुनिया बहुत प्यारी लगती है। मैं उसी में खुश व संतुष्ट रहता हूं। लोग मुझे जितना कम जाने-पहचानें,वह मेरे लिए उतना अच्छा है, इसलिए मैंने 'जंजीर' यह सोचकर साइन नहीं की कि मैं उससे पॉपुलर हो जाऊंगा।

    पढ़ें:जंजीर के रीमेक में दिखेंगे चिरंजीवी के पुत्रहकीकत बयां करूं तो इस फिल्म को ओके करने में मुझे आठ महीने लगे। उस दौरान मैंने अपूर्वा लाखिया के लिए तीन सवाल तैयार किए। पहला 'जंजीर' क्यों? दूसरा रामचरण ही क्यों और तीसरा सवल मेरे व अपूर्वा के बीच का था। उसके बारे में मैं ज्यादा नहीं बता सकता। अपूर्वा ने अपने जवाबों से मुझे संतुष्ट किया, लेकिन फिर भी एक बात मुझे परेशान करती रही कि मैं पहले ही चिरंजीवी का बेटा होने के नाते उम्मीदों के बोझ से लदा हुआ हूं, अब अमिताभ बच्चन जैसे ग्लोबल आइकन द्वारा निभाया गया किरदार निभा कर मैं खुद पर अतिरिक्त उम्मीदों का बोझ नहीं डाल सकता। इस पर पिता ने मुझे समझाया। उन्होंने कहा कि अगर तुम्हें स्क्रिप्ट पसंद है तो करो, बाकी बातों से मत डरो। मेरा डर कम हुआ और मैंने फिल्म साइन की।

    पढ़े:जंजीर पर जमकर बहा पैसा, एक सीन पर खर्च हुए दो करोड़फिल्म में कोस्टार प्रियंका से मुझे काफी मदद मिली। उनकी हिंदी भाषा व उच्चारण दोनों पर अच्छी पकड़ है। उन्होंने मुझे संवाद बोलने व उनके भाव महसूस करने में सहायता की। मैंने बदले में उन्हें थोड़ी-बहुत तेलुगू सिखाई। उनके संग काम कर बहुत मजा आया।'

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