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एसेंबली इलेक्‍शन: कांग्रेस-भाजपा, वोट पर हक के अपने-अपने दावे

विधानसभा चुनाव के दौरान अमूमन विपक्षी दलों का अंदाज अधिक आक्रामक होता है, लेकिन मौजूदा चुनाव इस मायने में खास हैं कि इस बार सत्तारूढ़ दल कांग्रेस का आक्रमण धार लिए हुए है।

By Gaurav KalaEdited By: Published: Wed, 01 Feb 2017 12:24 PM (IST)Updated: Thu, 02 Feb 2017 03:00 AM (IST)
एसेंबली इलेक्‍शन: कांग्रेस-भाजपा, वोट पर हक के अपने-अपने दावे
एसेंबली इलेक्‍शन: कांग्रेस-भाजपा, वोट पर हक के अपने-अपने दावे

देहरादून, [रविंद्र बड़थ्वाल]: उत्तराखंड विधानसभा चुनावमें एक बार फिर सियासी दल मतदाताओं की दहलीज पर दंडवत कर रहे हैं। उनकी झोली में लुभावने वायदे हैं तो साथ ही आक्रामक चुनाव प्रचार रणनीति। 'मेरी कमीज ज्यादा सफेद' की तर्ज पर एकदूसरे पर भारी दिखने को पूरी मशक्कत की जा रही है। दलों के तेवर तल्ख हैं।

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अमूमन विपक्षी दलों का अंदाज अधिक आक्रामक होता है, लेकिन मौजूदा चुनाव इस मायने में खास हैं कि इस बार सत्तारूढ़ दल कांग्रेस का आक्रमण धार लिए हुए है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर का कहर झेल चुकी कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के रूप में आगामी चुनौती को भांपते हुए काफी पहले से अलर्ट रही।

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पार्टी ने जमीन पर पकड़ मजबूत करने पर जोर रखा है। इसके लिए कार्यकर्ताओं से लेकर आम जनता से संवाद कायम करने की लगातार कोशिशें की जाती रही हैं। कांग्रेस सरकार में बगावत और बागियों के भाजपा का दामन थामने के बाद संकट से बाहर निकलने में कामयाब रहे सत्तारूढ़ दल ने लोकतंत्र बचाओ यात्रा के जरिए सड़कों पर उतरकर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला।

वहीं बतौर विपक्ष भाजपा ने सड़कों से लेकर सदन के भीतर कांग्रेस सरकार को घेरने में मौका नहीं चूका। आबकारी, खनन समेत कांग्रेस सरकार के घोटालों-घपलों और अनियमितताओं को लेकर भाजपा खूब हमलावर रही। इस साल के आखिरी महीनों में भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर प्रहार करते हुए प्रदेशभर में परिवर्तन रैली भी निकाली।

पूरे पांच साल ये दल किस तरह से एकदूसरे को मात देने के लिए आंख-मिचौनी खेलते रहे। दोनों ही दल जनता के नजदीक होने का दावा करते हुए उसके वोट पर अपना-अपना हक जता रहे हैं। चुनाव के मौके पर दोनों दलों का रिपोर्ट कार्ड हाजिर है।

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कांग्रेस:

कार्यकर्ताओं-जनता से निरंतर संवाद

पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश में अपने जनाधार को बचाए रख सत्ता में वापसी करने की है। इस एजेंडे को लेकर पार्टी पूरे पांच साल सक्रिय दिखाई दी तो साथ में भीतर से असंतोष के सुर भी फूटते रहे। इन सुरों ने हर दौर में प्रदेश सरकार को बेचैन किए रखा। लंबे अरसे तक प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट का मुद्दा पार्टी में अंदरूनी असंतोष का बड़ा कारण रहा। सरकार और संगठन में भी तनातनी देखने को मिली। इस सबके बीच कार्यकर्ताओं में पैठ मजबूत करने, असंतोष को थामने के साथ ही जनता से संवाद में निरंतरता बनाए रखने में पार्टी को कामयाबी हासिल हुई।

कार्यकर्ता सम्मेलन, जन संवाद

पांच वर्ष की अवधि में कांग्रेस दो बार पंचायत प्रतिनिधियों का सम्मेलन कर चुकी है। पहली बार नए पंचायत चुनाव से पहले पंचायतों पर पकड़ मजबूत करने की तैयारियों के लिए सम्मेलन हुआ, जबकि इसके बाद नए पंचायत प्रतिनिधियों के चुनकर आने के बाद वर्ष 2015 में दोबारा पंचायत प्रतिनिधि सम्मेलन हुआ। जनवरी, 2016 में दून और हल्द्वानी में मंथन शिविर लगे। वहीं दोनों मंडलों गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में विधानसभावार कार्यकर्ता सम्मेलन में सुझाव पत्र भी तैयार किया गया। पार्टी के जिलेवार संवाद कार्यक्रम में मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी मौजूद रहे।

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लोकतंत्र बचाओ यात्रा

बीती 18 मार्च को सत्तारूढ़ कांग्रेस में हुई बगावत ने कांग्रेस को सड़कों पर उतार दिया। बगावत से गुस्साई पार्टी ने पूरे प्रदेश में लोकतंत्र बचाओ यात्रा निकाली। इस यात्रा के निशाने पर भाजपा और बागी रखे गए। सरकार बहाल होने के बाद पार्टी ने पूरे प्रदेश में जनाशीष यात्रा भी निकाली।

आंतरिक असंतोष और टूट

कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी मुश्किलें आंतरिक अंसतोष ने पैदा की हैं। पहले लालबत्ती, फिर पीडीएफ की बढ़ती सियासी हैसियत और मंत्रिमंडल में कांग्रेस को जरूरी तरजीह न मिलने से असंतोष रह-रहकर उबाल मारता रहा है। इसका नतीजा पार्टी में टूट-फूट के तौर पर सामने आ चुका है।

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क्या कहते हैं प्रदेश अध्यक्ष

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के मुताबिक पार्टी ने विकास को नई दिशा दी और जन भावनाओं का सदैव सम्मान किया। मार्च में कांग्रेस में बगावत के बाद उत्तराखंडियत का मुद्दा गंभीर हो चला है। पर्वतीय कृषि, संस्कृति, युवाओं को रोजगार और लोक पर्वों को सहेजने के साथ ही हर वर्ग को सामाजिक सुरक्षा के लिए नई पेंशन जैसे मुद्दे पर जनता कांग्रेस को वोट करेगी।

भाजपा:

सरकार की घेराबंदी की रणनीति

सूबे के प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के सामने सत्ता हासिल करने की चुनौती है। इसके लिए पार्टी ने विधानसभा के भीतर और बाहर, हर मोर्चे पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार और कुशासन को घेरने की रणनीति पर काम किया। भाजपा को केंद्र की भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोक लुभावन अंदाज पर भरोसा रहा। यही वजह है कि केंद्र सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों को जनता तक पहुंचाने और जनता में पैठ बनाने के लिए पार्टी पूरे पांच साल प्रयासरत रही है। आखिरी चुनावी साल के आखिरी महीनों में भाजपा ने प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का आह्वान किया तो अनियमितताओं के मुद्दों को उठाकर कांग्रेस की परेशानी बढ़ाई।

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चुस्त-दुरुस्त रहा संगठन

भाजपा ने कार्यकर्ता सम्मेलन के साथ ही अनुसूचित जाति और महिलाओं के साथ ही युवाओं के सम्मेलन किए। महिला मोर्चा ने नारी निकेतन मुद्दे पर प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ा तो रोजगार के मुद्दे पर भाजयुमो ने भी प्रदर्शन किया। प्रमुख विपक्षी दल ने विधानसभा घेराव के जरिए भी विभिन्न मुद्दों की ओर ध्यान खींचा। चेतना यात्रा के जरिए पार्टी ने जनजागरण की मुहिम छेड़ी। सत्तारूढ़ कांग्रेस के असंतोष को चढ़ाया परवान।

पर्दाफाश रैली, परिवर्तन रैली

भाजपा ने कांग्रेस के लोकतंत्र बचाओ, सतत विकास संकल्प रैलियों के जवाब में प्रदेशभर में व्यापक रूप से पर्दाफाश और परिवर्तन रैलियां निकालीं। पर्दाफाश रैली में कांग्रेस सरकार के घोटाले व विवादित मुद्दों को निशाना बनाया गया। वहीं परिवर्तन रैली के जरिए सत्ता परिवर्तन की मुहिम छेड़ी। इस रैली का समापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दून में किया। भाजपा को मोदी लहर से काफी भरोसा है।

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केंद्रीय नेता सक्रिय, हाशिए पर दिग्गज

केंद्र में भाजपानीत सरकार बनने के बाद उत्तराखंड में केंद्र सरकार के मंत्री और पार्टी के केंद्रीय नेता सक्रिय हैं। मोदी सरकार की विभिन्न योजनाओं और अभियानों से जनता को जोड़े रखने के लिए उनकी सक्रियता प्रदेश संगठन को भी चुस्त-दुरुस्त रखे हुए है। हालांकि, इसका दूसरा पहलू ये भी है कि राज्य के भाजपा नेता खुद को हाशिए पर महसूस कर रहे हैं।

क्या कहते हैं प्रदेश अध्यक्ष

उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष अजय भट्ट के मुताबिक भाजपा ने जिम्मेदार विपक्ष का परिचय देते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा करने में कसर नहीं छोड़ी। आपदा के दौरान पार्टी के कार्यकर्ता आपदा प्रभावित क्षेत्रों में मुस्तैद रहे। कार्यकर्ताओं ने अन्य प्रदेशों से भी राहत सामग्री प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचाई। सरकार के भ्रष्टाचार को तार-तार करने के लिए साथ जन हित से जुड़े मुद्दों पर पार्टी सक्रिय रही है। भ्रष्टाचार और राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए राज्य की जनता भाजपा को वोट देगी।

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