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    उत्तराखंड चुनाव 2017: कड़वे अनुभवों की सीख से भाजपा में सत्ता वापसी का ख्वाब

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sat, 14 Jan 2017 03:00 AM (IST)

    उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में इस बार सत्ता में वापसी का ख्वाब बुन रही भाजपा बेहद संभल कर कदम बढ़ा रही है। इसके लिए पुरानी गलतियों से सबक लेकर रोडमैप तैयार कर लिया है।

    उत्तराखंड चुनाव 2017: कड़वे अनुभवों की सीख से भाजपा में सत्ता वापसी का ख्वाब

    हल्द्वानी, [गणेश जोशी]: पांच साल बाद इस बार सत्ता में वापसी का ख्वाब बुन रही भाजपा बेहद संभल कर कदम बढ़ा रही है। पुरानी गलतियों से सबक लेकर सत्ता की राह सुगम बनाने की एक तरह से बुनियादी पहल की जा रही है। इसमें परंपरागत मुद्दों के साथ ही स्थायी सरकार देने को खास तवज्जो दी जा रही है। विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने के लिए पार्टी स्तर पर गठित समिति ने इस पर बाकायदा बारीक होमवर्क कर रोडमैप तैयार कर लिया है।

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    पिछले चुनावों में बहुमत के आंकड़े से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कुछ ही फासले पर थे, लेकिन बाजी 32 सीटों वाली कांग्रेस पार्टी मार ले गई। तब कांग्रेस से महज एक पायदान पीछे रही भाजपा भी 31 सीटों के साथ निर्दलों को साथ लेकर सरकार बनाने की स्थिति में थी, पर ऐनवक्त पर सत्ता उसके हाथ से फिसल गई।

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    पार्टी सूत्रों के अनुसार कारणों की समीक्षा हुई तो राज्य गठन के वक्त बनी अंतरिम सरकार के साथ ही वर्ष 2007 से 2012 के बीच बार-बार मुख्यमंत्री बदले जाने की वजह से यह नुकसान की बात सामने आई। हालांकि भाजपा ने खुले तौर पर कभी भी इस सच्चाई को नहीं स्वीकारा लेकिन, पार्टी फोरम पर ये हर बार चर्चा का मुख्य विषय रहा।

    मौजूदा चुनाव में भाजपा इस मोर्चे पर अभी से एहतियात बरतती दिख रही है। चुनाव में किसी भी चेहरे को सीएम अथवा अगुआ के तौर पर प्रस्तुत न करने को इसी रणनीति का एक हिस्सा माना जा रहा है।

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    दूसरा यह कि पार्टी अपने एजेंडे में स्थायित्व पर खास फोकस कर रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री बच्ची सिंह रावत 'बचदा' की नेतृत्व में बनी विजन डॉम्यूमेंट समिति ने इस पहलू पर बहुत गहराई से काम करने के बाद स्थायित्व का खाका खींचा है। नौकरशाही की निरंकुशता पर लगाम भी इसका हिस्सा बनाया गया है।

    विजन डॉक्यूमेंट में स्पष्ट जिक्र किया गया है कि पिछले शासनकाल की गलतियां किसी भी सूरत में नहीं दोहराई जानी चाहिए। इस समिति में वरिष्ठ नेता ज्योति गैरोला, धनसिंह रावत, डा. बालेश्वर पाल, डा. शंकर, डा. नरेंद्र सिंह, रामकृष्ण सिंह व अजेंद्र अजय शामिल हैं।

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    सियासी गलियारों से छनकर आ रही खबरों के मुताबिक भाजपा रणनीतिकारों की आम से लेकर खास वर्ग के साथ ही राज्य से जुड़े प्रत्येक छोटे-बड़े मुद्दे को छूने की कोशिश है, ताकि जनभावनाओं के जरिये वोट की फसल काटी जा सके। पार्टी अपने विजन डाक्यूमेंट को कुछ इसी तर्ज पर अंतिम रूप देने में जुटी है।

    पार्टी सूत्रों के अनुसार बचदा की टीम ने प्रदेश भर में भ्रमण कर विजन डाक्यूमेंट का खाका तैयार कर लिया है। इसमें ऐसे परंपरागत मुद्दे लिए हैं, जो राज्य बनने से पहले से ही चल रहे हैं। इसमें जल, जंगल, जमीन, पलायन व बेरोजगारी को खास तरजीह दी है।

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    यही मुद्दे हैं, जिसकी वजह से अलग राज्य बना। अभी तक चुनावी घोषणा पत्र के अलावा इन मुद्दों पर खास काम नहीं हो सका। इसके लिए नारा यह भी दिया जा रहा है कि, अटल ने राज्य बनाया और अब मोदी संवारेंगे।

    योजना यह है कि इन मुद्दों के जरिये पार्टी जनभावनाओं को छूने का प्रयास किया जाए। नशाखोरी को बड़ी चुनौती मानते हुए विजन डॉक्यूमेंट में इसे स्थान देने की भी योजना पर काम चल रहा है। विशेष एक्शन प्लान तैयार कर इससे मुक्ति दिलाने का संकल्प इसमें दिखेगा।

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    डिजिटलाइजेशन पर भी रहेगा फोकस

    नोटबंदी के बाद से डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देने की चुनौती बढ़ गई है। आम से खास व्यक्ति इस चुनौती से कैसे पार पा सकता है? इसके लिए विजन डाक्यूमेंट में तमाम तरह की योजनाएं शामिल करने का दावा किया जा रहा है। जैसे कि ई-गर्वनेंस, पेपरलेस वर्क आदि।

    राज्य हित में जरूरी मुद्दे लिए

    विजन डाक्यूमेंट कमेटी के संयोजक बची सिंह रावत के मुताबिक हमने तमाम ऐसे मुद्दे लिए हैं, जो राज्य हित में जरूरी में हैं। हमने जल, जंगल, जमीन से लेकर तमाम नए मुद्दे लिए हैं। सभी वर्गो का ध्यान रखा है। यह जल्द ही घोषणा पत्र के रूप में सामने आ जाएगा।

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