16 दिसंबर के गहरेे घाव, अब भी सुनाई पड़ती हैं निर्भया की सिसकियां
निर्भया कांड के बाद यह उम्मीद जगी थी कि अब देश में महिलाएं महफूज रहेंगी। देश का नया कानून दुष्कर्म की घटनाओं को रोकने में प्रभावी रहेगा। लेकिन आंकड़े कुछ और ही तस्वीर पेश करते हैं।
नई दिल्ली [ जेएनएन ] । 16 दिसंबर 2012 की रात देश की राजधानी दिल्ली को निर्भया गैंगरेप के रूप में एक गहरा घाव मिला था। देश की राजधानी में महिला सुरक्षा पर सवाल उठेे थे। एक नई बहस शुरू हुई। आज इस घटना को 4 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
इस वारदात को लेकर आंदोलन हुए, संसद तक आवाज़ पहुंची और एक नया कानून का तानाबाना बुना गया। लेकिन आंकड़ों पर नज़र डालें तो नतीजा अब तक भी सिफर ही नज़र आता है।
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निर्भया की मां आशा देवी की भी सबसे बड़ी चिंता यही है कि जैसे-जैसे साल बीतते जा रहे हैं इस समस्या के प्रति सरकार और समाज दोनों का रवैया टालने वाला होता गया है। निर्भया की मां आशा देवी ने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके खिलाफ बढ़ रहे अपराधों को लेकर बेबाक ढ़ंग से अपनी बात कहीं।
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बोल पड़ी आशा देवी
आशा देवी ने साफ़ शब्दों में कहा है कि निर्भया के साथ हुई अमानवीय घटना के बाद युवाओं में जो गुस्सा दिखाई दिया था । सरकार ने पहल कि और जिस तरह कानून बनकर तैयार हुआ उससे काफी उम्मीदें जगी थीं। अदालत तो अपना काम कर रही है लेकिन ये पूरी प्रक्रिया इतनी धीमी है कि अभी तक उनके केस में भी चारों दोषियों को सजा नहीं मिल पाई है। उन्होंने साफ़ कहा कि केंद्र हो या राज्य सरकार उन्हें आश्वासनों के अलावा अभी तक कहीं से कुछ हासिल नहीं हुआ है।
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बता दें कि निर्भया केस सुप्रीम कोर्ट में है और अगली पेशी 2 जनवरी को है। आशा देवी ने इस ख़ास बातचीत में समाज की सोच, भारत में लड़कियों के साथ भेदभाव और महिला सुरक्षा कानूनों में कमी जैसे कई ज़रूरी मुद्दों पर बात की है। पूरा इंटरव्यू देखने के लिए वीडियो पर क्लिक करें।
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चौंकाने वाली तस्वीर
1. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक साल 2015 में भी देश की राजधानी दिल्ली में रोज 6 बलात्कार और 15 मोलेस्टेशन के केस दर्ज हुए।
2. NCRB के मुताबिक भारत में हर साल हुए इतने रेप:
a- 2011 - 24,206
b- 2012- 24,923
c- 2013- 33,707
d- 2014 - 37,000
e- 2015 - 34,651
3. 2011 की जनसंख्या की गिनती के मुताबिक भारत में 1000 पुरुषों पर सिर्फ 943 स्त्रियां हैं। जबकि चाइल्ड सेक्स रेशियो में ये आंकड़ा गिरकर सिर्फ 914 लड़कियां ही रह जाता है।
4. गर्ल चाइल्ड सेक्स रेशियो के मामले में हरियाणा से भी बुरी हालत राजधानी दिल्ली की है। हरियाणा में जहां 1000 पुरुषों के मुकाबले 879 स्त्रियां हैं जबकि दिल्ली में आंकड़ा सिर्फ 868 ही है।
5- साल 2014 के मुकाबले 2015 में रेप के मामलों में 5.7 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। हालांकि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
6- सबसे चौंकाने वाली ये बात सामने आई कि 95 प्रतिशत मामलों में जिस पर रेप का आरोप लगा, वो पीड़ित के परिवार का सदस्य या कोई करीबी दोस्त ही था। उत्तर भारत के राज्य ऐसे मामलों में सबसे ऊपर रहे।
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वो 16 दिसंबर का सच
चार साल पहले आज ही के दिन चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुई युवती ने चंद दिनों बाद दम तोड़ दिया था। दरिंदों को सजा दिलाने के लिए दिल्ली ही नहीं पूरे देश के युवाओं ने मोर्चा खोल दिया था। रायसीना हिल तक विरोध कर महिलाओं की सुरक्षा के लिए नए नियमों की मांग की थी। इस घटना के बाद कई नियम बने, निर्भया फंड बनाया गया।
रात 9 बजे
पुलिस मुख्यालय के पीछे सड़कों पर सुरक्षा के इंतजाम रात में नाकाफी हैं। यहां अंदर की चारों सड़कों पर अंधेरा रहता है, जबकि यहां कई विभागीय कार्यालय होने के कारण महिलाओं का देर रात आना-जाना रहता है।
9: 04
आइटीओ ङ्क्षरग रोड के साथ सर्विस रोड पर भी सुरक्षा के इंतजाम नजर नहीं आए। पुलिस मुख्यालय के पास होने के बाद भी व्यवस्था कम है।
9:10
राजघाट के सामने सर्विस रोड पर बेला मार्ग जो कि दरियागंज को जोड़ता है, यहां भी चारों तरफ अंधेरा ही दिखाई दिया।
9 :32
सिविल लाइंस से रिज रोड की तरफ जाने वाले मार्ग पर भी अंधेरा छाया था। दूर तक न तो कोई पुलिसकर्मी नजर आया और न ही पीसीआर वैन।
10
कश्मीरी गेट आइएसबीटी पुल के नीचे। यहां से बड़े पैमाने पर दूसरे राज्यों से महिलाएं ही नहीं युवतियां पहुंचती हैं, लेकिन रात में यहां भी सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी हैं। चारों तरफ अंधेरा फैला रहता है।
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