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    नोटबंदी: कोटक महिंद्रा पर IT का शिकंजा, 150 फर्जी खातों में 1000 करोड़ का लेन-देन

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Thu, 29 Dec 2016 07:43 AM (IST)

    नोटबंदी के बाद बैंकोंं में फर्जी खातोंं के मिलने का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में एक बड़ा मामला कोटक महिंद्रा बैंक से जुड़ा है। अब तक यहां 150 खातेे फर्जी मिले हैं। इन खातों में 1000 करोड़ का लेन-देन का शक है।

    नोएडा (लोकेश चौहान)। कोटक महिंद्रा बैंक में फर्जी खातों के सामने आने का सिलसिला जारी है। मंगलवार को आयकर विभाग की टीम को जांच में नोएडा व दिल्ली की शाखाओं में 150 नए फर्जी खाते मिले हैं। इन खातों से करीब एक हजार करोड़ रुपये के लेन-देन की बात सामने आई है।

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    फिलहाल आयकर विभाग की कई टीमें जांच में जुटी हुई हैं। आयकर विभाग की टीम को जांच में सोमवार को कोटक महिंद्रा बैंक में 25 फर्जी कंपनियों के खातों की जानकारी मिली थी। वहीं, दिल्ली में भी कोट महिंद्रा बैंक में नौ फर्जी खाते मिले थे।

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    मंगलवार को नोएडा व दिल्ली में जांच को आगे बढ़ाते हुए आयकर विभाग की टीम को 150 नए फर्जी खातों की जानकारी मिली है। इन खातों से करीब एक हजार करोड़ रुपये के लेन-देन का मामला सामना आया है। जो खाते मंगलवार को पकड़े गए हैं, उनमें से अधिकांश खाते दिल्ली के कोटक महिंद्रा बैंक के हैं।

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    लगातार मिल रहे फर्जी खातों के बाद अब आयकर विभाग की टीमें कोटक महिंद्रा बैंक की सभी शाखाओं की जांच करने की तैयारी कर रही है। आशंका जताई की जा रही है कि अभी इससे भी अधिक फर्जी खातों का फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है।

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    फिलहाल जो फर्जी खाते पकड़ में आए हैं, उनकी जांच की जा रही है। फर्जी खाते खोलने के लिए बैंक में जमा किए दस्तावेजों की जांच की जा रही है। जिस व्यक्ति के दस्तावेजों का प्रयोग किया गया है, उससे पूछताछ होगी। इसके बाद जिन खातों में लेन-देन किया गया है, उन सभी खाता धारकों से भी पूछताछ होगी। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जांच को जितना आगे बढ़ाया जा रहा है, फर्जी खातों का सामने आना जारी है।

    छापा पड़ते ही अस्पताल में भर्ती हुए लाल महल कंपनी के निदेशकों के अब अस्पताल से बाहर आने का इंतजार किया जा रहा है। कंपनी के चार में से दो निदेशकों के फरार होने के बाद डीआरआइ (डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस) ने अस्पताल के बाहर घेरेबंदी कर दी है। जांच अधिकारियों ने डॉक्टरों से भी पता कर लिया है कि अस्पताल में भर्ती दोनों निदेशकों में से किसको क्या और कितनी बीमारी है।

    कंपनी के चार निदेशकों में 84 वर्षीय हरिनारायण, उनका पुत्र प्रेमचंद्र गर्ग, प्रेमचंद्र की पत्नी अनीता और बेटा देवाशीष शामिल हैं। छापे के बाद से ही अनीता व देवाशीष भूमिगत हो गए हैं, जबकि हरिनारायण व उनका पुत्र प्रेमचंद्र गर्ग अस्पताल में भर्ती हैं।

    डीआरआइ के डिप्टी डायरेक्टर मनीष कुलहरी ने बताया कि बुजुर्ग हरिनारायण का स्वास्थ्य वास्तव में ठीक नहीं है, जबकि प्रेमचंद्र गर्ग को ब्लड प्रेशर बढ़ने की शिकायत पर भर्ती किया गया था।

    डॉक्टरों ने उनका ईसीजी भी कराया था। कुलहरी ने बताया कि डॉक्टरों ने एक-दो दिन में प्रेमचंद्र को अस्पताल से छुट्टी मिलने की संभावना जताई है इसलिए जांच दल भी अब उनके अस्पताल से बाहर आने का इंतजार कर रहा है।

    जांच अधिकारी फरार निदेशक मां-बेटा की भी तलाश कर रहे हैं। अधिकारियों का मानना है कि वे दिल्ली में ही कहीं हैं। छापे के दौरान जांच दल ने मौके से बड़ी संख्या में दस्तावेज एकत्र किए थे।

    बताया जा रहा था कि लाल महल कंपनी ने करीब तीन दर्जन डमी फर्म बना रखी थीं। इनके जरिये लेनदेन कर काले को सफेद बनाया जा रहा था। जांच अधिकारी इन दस्तावेजों में भी नए सुराग तलाश रहे हैं।