अब भी नहीं संभले तो घातक होंगे 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे: केसी त्यागी
केसी ने कहा कि अगर गैर भाजपाई दल अब भी नहीं चेते तो 2019 के लोकसभा चुनाव में और भी घातक नतीजों के लिए तैयार रहें।
गाजियाबाद [राज कौशिक]। जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना है कि गैर भाजपाई दल अगर अब भी नहीं संभले तो 2019 के लोकसभा चुनाव में भी ऐसे ही परिणामों के लिए तैयार रहें।
दैनिक जागरण से बात करते हुए केसी त्यागी ने कहा कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की तरह गैर भाजपाई दलों की एकता की कोशिश जदयू ने की थी। वो हो गई होती तो पीएम मोदी के विजय रथ को रोका जा सकता था। त्यागी ने कहा हमारी कोशिश थी कि सपा व कांग्रेस के साथ ही बसपा व रालोद भी महागठबंधन का हिस्सा बनें मगर ऐसा नहीं हो पाया।
जदयू नेता ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने चुनाव में उस वंचित समाज को आकर्षित किया, जिसे सपा, बसपा व वामपंथी दल अपनी निजी पूंजी समझते रहे हैं। आरक्षण की पैरवी कर राजनीति करने वाले दलों को समझना होगा कि मंडल कमीशन किसी खास जाति समूह के लिए नहीं था। उसकी रिपोर्ट सभी पिछड़े वर्गों की सत्ता में भागेदारी की बात करती थी। इन दलों को जाति विशेष के स्थान पर सभी पिछड़ी जातियो की चिंता करनी होगी।
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त्यागी ने कहा पीएम मोदी ने इन जातियो में एक स्थान बना लिया है, जिसके परिणामस्वरूप भाजपा को यूपी में प्रचंड बहुमत मिला है। सिर्फ ये कह कर विपक्षी लोग अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते कि यूपी में भाजपा ने धार्मिक ध्रुवीकरण का सहारा लिया। ये कोशिश बिहार में भी भाजपा ने की थी मगर वहां गैर भाजपाई नेतृत्व नीतीश कुमार के हाथ में था जो सबको साथ लेकर चल रहे थे।
नीतीश ने बिहार में कब्रिस्तान की चारदीवारी बनाई तो किसी श्मशान या मंदिर को भी बिना चारदीवारी के नहीं छोड़ा। अति पिछड़ो का कोटा तय कर उन्हें लाभ दिया गया। केसी ने कहा कि अगर गैर भाजपाई दल अब भी नहीं चेते तो 2019 के लोकसभा चुनाव में और भी घातक नतीजों के लिए तैयार रहें। ये दल पहले अपने अंदर एकता स्थापित करें और फिर बाद में एक दूसरे के साथ एकता बनाएं।
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जदयू नेता ने कहा कि सपा-कांग्रेस का गठबंधन धरातल पर नहीं था। कांग्रेस ने 108 सीटें मांगी मगर उसके पास 108 उम्मीदवार तक नहीं थे। 18 सीटों पर सपा प्रत्याशी भी लड़े और कांग्रेस के भी। 15 सीटों पर कांग्रेस को सपा ने ही प्रत्याशी दिए। केसी ने कहा कि विपक्ष एकता के अभाव में हारा है। ईवीएम को दोष देकर कोई दल दोषमुक्त नहीं हो सकता।
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