पढ़ाई का तो पता नहीं, लेकिन बच्चे स्कूल से भागकर गिल्ली डंडा अच्छा खेलते हैं
विद्यार्थी स्कूल की छुट्टी से पहले ही स्कूल से गुल होने शुरू हो जाते हैं। विद्यार्थी ऐसी जगह से स्कूल से भागते हैं जहां पर कैमरे की नजर ही नहीं है।
नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। विजय पार्क स्थित दिल्ली सरकार के राजकीय उच्चतर माध्यमिक बाल विद्यालय में पढ़ाई कैसी होती है इसका तो पता नहीं, लेकिन स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थी स्कूल से भागकर गिल्ली डंडा बहुत अच्छा खेलते हैं। यहां दो समानांतर स्कूल चल रहे हैं, एक में पढ़ाई होती है और दूसरे में सिर्फ गिल्ली डंडे का खेल होता है। चौंकिए नहीं दरअसल स्कूल के बराबर में ही पार्क बना हुआ है, विद्यार्थी स्कूल में हाजिरी लगाकर दीवार फांद गिल्ली डंडा खेलने के लिए पार्क में पहुंच जाते हैं।
शुक्रवार को स्कूल में स्पोर्ट्स डे मनाया गया, जितने विद्यार्थी स्कूल के अंदर खेलकूद में भाग ले रहे थे। उससे अधिक पार्क में गिल्ली डेंडे का मैच खेल रहे थे। पार्क में खेलने वाले बच्चों ने बताया कि गिल्ली डंडा खेलना उनका रोज का काम है, स्कूल के बस्ते में किताबों के साथ गिल्ली डंडा जरूर होता है। उन्होंने कहा कि सरकार को गिल्ली डंडा खेल प्रतियोगिता भी करवानी चाहिए, उसमें यहां के विद्यार्थी प्रथम आएंगे।
स्कूल में 1225 विद्यार्थी है और 37 शिक्षक हैं। स्कूल से जुड़े मुद्दो पर दिल्ली सरकार के मंत्री व स्थानीय विधायक गोपाल राय से फोन पर बात करने की कोशिश की गई, लेकिन तीनों बार उनका फोन उनके सहयोगी ने उठाया पूरी बात सुनने के बाद गुस्से में बोले अभी मंत्री जी बाहर है वह कुछ नहीं बोलेंगे, ज्यादा जरूरत है तो विधायक जी के कार्यालय जाओ जो पूछना है पूछ लो।
शिक्षक और सुरक्षा गार्डों ने लगाई दौड़
स्कूल के शिक्षकों से जब सवाल किया गया कि उनके स्कूल में पढ़ाई कैसी होती है तो शिक्षकों ने जवाब देने से इन्कार कर दिया। संवाददाता जब स्कूल से बाहर निकले तो उसके दो मिनट बाद ही स्कूल के शिक्षकों व दो सुरक्षा गार्डों ने पार्क में खेल रहे बच्चों को भगाया।
सीसीटीवी का भी नहीं है कोई फायदा
स्कूल में कई जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। विद्यार्थी स्कूल की छुट्टी से पहले ही स्कूल से गुल होने शुरू हो जाते हैं। विद्यार्थी ऐसी जगह से स्कूल से भागते हैं जहां पर कैमरे की नजर ही नहीं है। विद्यार्थियों ने स्कूल से भागने का पूरा इंतजाम किया हुआ है। स्कूल की दीवार पर कांटों वाला तार भी लगा हुआ है, लेकिन कुछ जगह से बच्चों ने उस तार को ही काट दिया। दीवार पर लगे हुए लोहे के ग्रिल पर एक लकड़ी का बांस लगाया हुआ है उसके सहारे बच्चे दीवार फांदकर भाग जाते हैं।
टिन शेड के नीचे हैं प्रधानाचार्य का कमरा
स्कूल में बच्चों के लिए बिल्डिंग बनी हुई है, लेकिन प्रधानाचार्य का कमरा आज भी टिन शेड के नीचे है। स्कूल से जुड़े लोगों ने बताया कि टिन शेड की जगह पक्के कमरे बनाने के लिए फंड आया जरूर था, लेकिन किसी वजह से फिर वापस चला गया। सही पता शिक्षा विभाग को होगा।
छात्रवृति के लिए आ जाते हैं अभिभावक, लेकिन बैठक में नहीं आते
शिक्षकों ने बताया कि सरकार की ओर से विद्यार्थियों को कई तरह की छात्रवृति दी जाती है, जब छात्रवृति मिलती है तो उस समय स्कूल में अभिभावक आ जाते हैं। लेकिन जब पेरेंट्स टीचर मीटिंग होती है तो गिने चुने अभिभावक ही आते हैं। स्कूल से बच्चों का भागना तभी रुक सकता है जब अभिभावक भी बच्चों की शिक्षा को लेकर गंभीर हों।
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