मिड-डे मील की खामियों को दूर करने में नहीं मिली सफलता, जानें- क्या है हकीकत
स्कूल के बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भले ही मिड-डे मील की शुरुआत की गई हो लेकिन मौजूदा समय में इसकी हालत चिंतनीय है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूल आने वाले बच्चों को नियमित रूप से मिड-डे मील आहार दिया जाता है लेकिन इसकी गुणवत्ता पर उठने वाले सवालों में कोई कमी नहीं आई है। भोजन में पाई जाने वाली कमियों को दूर करने का प्रयास तो दूर इसके निर्देशों का पालन करने में भी लापरवाही बरती जा रही है। दिल्ली सरकार के तमाम स्कूलों में मिड-डे मील के आहार-चार्ट के मुताबिक भोजन देना तो दूर उसके बारे में बच्चों को जानकारी देने की जहमत भी नहीं उठाई जाती।
पौष्टिक आहार मुहैया कराने में नहीं मिल रही सफलता
स्कूल के बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भले ही मिड-डे मील की शुरुआत की गई हो लेकिन मौजूदा समय में इसकी हालत चिंतनीय है। भोजन के चार्ट का कई स्कूलों से गायब होना ही इसकी हकीकत बयां करता है। बाहरी दिल्ली के सुल्तानपुरी, जहांगीरपुरी, शाहबाद डेरी, मंगोलपुरी समेत कई ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों से आहार चार्ट गायब हैं। आहार में गड़बड़ियों की घटना से यह स्पष्ट है कि इस बारे में नियमों के पालन और सुचारू व्यवस्था का स्कूलों में अभाव है।
संस्थाएं और एजेंसियां लापरवाह
विभिन्न स्कूलों में अलग-अलग गैर सरकारी संस्थाओं व एजेंसियों द्वारा मिड-डे मील भेजा जाता है। अलग अलग जोन में अलग अलग एजेंसियां काम कर रही हैं। उत्तरी जोन में इनके सेंटर स्वरूप नगर, सुल्तानपुरी, अलीपुर समेत कई क्षेत्रों में है। इन एजेंसियों के मिड-डे मील इंचार्ज के साथ-साथ स्कूल के इंचार्ज शिक्षक को भोजन की देखरेख और उसके स्वाद की परख की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। उसके बाद ही उस खाने को बच्चे को सौंपा जाता है। लेकिन यह प्रक्रिया प्रत्येक क्षेत्र में कारगर नहीं हो सकी है। यही वजह है कि गड़बड़ियों के मामले बार-बार सामने आ रहे हैं लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
पोषक तत्वों की कमी
मिड-डे मील आहार के माध्यम से हर हफ्ते बच्चों को अलग-अलग पोषण वाले आहार देने के नियमों के पालन में लापरवाही बरती जा रही है। इसके कारण बच्चों को स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पा रहा है। गौरतलब है कि अलग-अलग प्रकार के व्यंजनों की लिस्ट के माध्यम से बच्चों में वसा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी की मात्रा को संतुलित रखना था। लेकिन इस कार्य में अब तक सफलता नहीं मिल सकी है। कुछ वर्ष पूर्व सूचना के अधिकार से मिली जानकारियों के मुताबिक शिक्षा निदेशालय में भेजे जाने वाले मिड-डे मील सैंपल में 80-90 फीसद सैंपल फेल हो जाते हैं। इसके बावजूद इसमें कोई विशेष सुधार देखने को नहीं मिल रहा है।
भोजन निर्माण को लेकर समय प्रबंधन आवश्यक
अक्सर स्कूलों में डिब्बों में भरकर भोजन को भेजा जाता है। जिसे बांटने की अवधि सुबह 11 बजे निश्चित की गई है। लेकिन यह खाना सुबह 8 बजे ही स्कूलो में पहुंच जाता है। वहीं इसे सुबह 5 बजे या कभी-कभी रात में ही बना लिया जाता है। जिसके कारण भोजन के तैयार होने और उसे बच्चों में बांटने के बीच लंबा अंतराल आ जाता है। जिससे भोजन के खराब होने की आशंका बढ़ जाती है। गर्मी और बारिश के मौसम में इसे लेकर अधिक सतर्कता बरतनी होगी और समय का प्रबंधन करना होगा।
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