मदद के लिए इकलाख ने हिंदू दोस्त को किया था आखिरी फोन
भीड़ को अपनी ओर बढ़ती देखकर इकलाख के हाथपैर फूल गए थे। उन्होंने मनोज को फोन कर कहा कि मनोज भाई मैं बहुत बुरी मुसीबत में हूं, पुलिस फोर्स बुला दो। इतना सुनते ही मनोज दोस्त की मदद के लिए दौड़ पड़े।
नोएडा। दादरी के बिसाहड़ा गांव में गोमांस रखने और खाने की अफवाह के चलते भीड़ का शिकार हुए इकलाख ने मदद के लिए अपने बचपन के हिंदू दोस्त मनोज सिसोदिया को फोन किया था। यह खुलासा पुलिस जांच में इकलाख की कॉल डिटेल से हुआ था।
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मनोज अपने दोस्त की मदद के लिए आए भी, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। मनोज के घर से इकलाख के घर की दूरी कुछ ज्यादा नहीं थी, लेकिन यह छोटा सफर तय करने में भी मनोज को 15 मिनट से भी ज्यादा का समय लगा। जब मनोज मदद के लिए इकलाख के घर पहुंचे तब तक इंसानियत मर चुकी थी।
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परचून की दुकान चलाते हैं मनोज
भीड़ की दरिंदगी का शिकार हुए इकलाख और मनोज सिसोदिया दोनों बचपन के दोस्त थे। मनोज गांव में ही परचून की दुकान चलात हैं, जबकि इकलाख बिजली की काम जानते थे। दोस्ती बचपन से थी, इसलिए दोनों एक-दूसरे के दुख-सुख में भी शरीक होते थे।
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फोन मिला पर नसीब अच्छा न था
भीड़ के आने की आहट लगते ही इलकाख ने मनोज को मोबाइल पर फोन कर हादसे की आशंका जाहिर कर दी थी। मनोज तत्काल अपने दोस्त को बचाने के लिए दौड़ पड़े। उस दिन दुर्भाग्य ही था कि मनोज को पांच सौ मीटर का सफर तय करने में 15 मिनट का समय लग गया।
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सदमे में हैं मनोज
बचपन के दोस्त इकलाख की मौत से मनोज सदमे में हैं। मनोज के लिए आज भी यह यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि उनके अजीज दोस्त इकलाख अाज इस दुनिया में नहीं हैं।
नहीं घटी पहले कभी ऐसी घटना
मनोज बताते हैं, पहले कभी इस तरह की घटना गांव में नहीं घटी थी। हिंदू हों या फिर मुस्लिम समुदाय दोनों प्रेम व भाईचार के साथ दशकों से रहते आए हैं।
'मनोज भाई पुलिस फोर्स बुला दो'
भीड़ को अपनी ओर बढ़ती देखकर इकलाख के हाथपैर फूल गए थे। उन्होंने मनोज को फोन कर कहा कि मनोज भाई मैं बहुत बुरी मुसीबत में हूं, पुलिस फोर्स बुला दो। इतना सुनते ही मनोज दोस्त की मदद के लिए दौड़ पड़े।