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    बिसाहड़ा कांडः हिंदुओं की मदद से हुई थी 20 मुस्लिम बेटियों की शादी

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Mon, 05 Oct 2015 01:33 PM (IST)

    बिसाहड़ा गांव में 55 मुस्लिम परिवार रहते हैं, जिनकी संख्या कुल 300 के करीब है। अब तक 20 मुस्लिम बेटियों की शादी में हिंदुओं ने आर्थिक रूप से मदद की है।

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    ग्रेटर नोएडा (प्रवीण सिंह)। जिस बिसाहड़ा गांव में गंगा-जमुनी तहजीब की अविरल धारा बहती थी, लोग हंसी-खुशी एकसाथ रहते थे। वहीं आज हंसने वाली आंखों में आंसू बह रहे हैं।

    कांड से हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय की एकता तार-तार हुई है। गांव के बुजुर्गों को इस कांड से करारा झटका लगा है। गांव की एकता की मिसाल देते-देते बुजुर्गों की आंखों में आंसू छलक रहे हैं।

    बिसाहड़ा गांव में 55 मुस्लिम परिवार रहते हैं, जिनकी संख्या कुल 300 के करीब है। अब तक 20 मुस्लिम बेटियों की शादी में हिंदुओं ने आर्थिक रूप से मदद की है।

    बुजुर्ग चले इंसानियत बचाने

    गांव में भाईचारे के माहौल को क्यों बिगाड़ने की कोशिश की गई, इसका जवाब बुजुर्ग आपसी बैठक करके ढूंढ़ निकालने का प्रयास कर रहे हैं।

    बिसाहड़ा गांव के भाग सिंह प्रधान, सूबेदार जीतपाल सिंह, नत्थू सिंह, सूरजपाल सिंह, प्रताप मास्टर, खजान सिंह, सिपट्टर सिंह, एमके शर्मा, मास्टर प्रेम सिंह ने कुछ अन्य लोगों ने मिलकर गांव की बीस मुस्लिम बेटियों की शादी कराई है। किसी ने दस हजार तो किसी ने दो लाख तक की आर्थिक मदद की है।

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    इकलाख की बड़ी बेटी मुमताज की शादी में राजेंद्र सिंह ने जगह दी थी। तीन साल पहले हुई मुमताज की शादी में राजेंद्र सिंह के घर के अंदर ही टेंट लगातार बरातियों को भोजन कराया गया था। इसके अलावा गांव के रहने वाले सब्बीर, सत्तार, इलियास, साबू, प्यारे धोबी के अलावा कई अन्य मुस्लिम व्यक्तियों की बेटी की शादी हिंदुओं ने कराई है।

    मस्जिद की मरम्मत कराई थी

    हाल ही में गांव के हिंदुओं ने दो लाख रुपए एकत्र कर मस्जिद की मरम्मत कराई थी। मस्जिद गांव के मुख्य द्वार के पश्चिम ओर है। इसके अलावा गांव में जब भी ईद होती है तो हिंदू परिवार मुस्लिम परिवार के बुलावे पर उनके घर सेवइयां खाने जाते हैं।

    होली और दिवाली में मुस्लिम परिवार हिंंदुओं के साथ खुशियां मनाता है। बुजुर्ग बताते हैं कि गांव में 20 बेटियों की शादी होने पर दोनों समुदाय के बीच भाईचारे का माहौल स्थापित हो गया है।

    अभी ऐसा लगा ही नहीं कि गांव में अलग-अलग समुदाय के लोग रहते है, लेकिन इस घटना से गांव की छवि तो खराब हुई ही है साथ ही लोगों की मानसिकता को भी ठेंस पहुंची है।

    साइकिल पर बैठकर एक साथ जाते है स्कूल

    गांव में रहने वाले दो दोस्त सुमित और कलीम एक स्कूल में एक साथ पढ़ते हैं। दोनों एक ही साइकिल पर बैठकर एक साथ स्कूल जाते हैं। लेकिन इस घटना के बाद से दोनों एक दूसरे से मिले तक नहीं है। दोस्ती की मिसाल पेश करने वाले दोनों दोस्त चाहते हैं कि गांव में पहले जैसा माहौल हो और दोनों फिर से एक साथ स्कूल जाएं।