अधिकांश दिल्ली वालों इवेन-ऑड के पक्ष में, दोबारा लागू करने की दी राय
जनवरी के पहले पखवाड़े में दिल्ली सरकार द्वारा लागू किया गया सम (इवेन)-विषम (ऑड) फॉर्मूला दिल्ली वालों को काफी पसंद आया है। लोग चाहते हैं कि नियमित समय के अंतराल पर दिल्ली में यह फॉर्मूला लागू हो। इतना ही नहीं इसमें सिर्फ कार वालों को ही नहीं, बल्कि दो पहिया

नई दिल्ली । जनवरी के पहले पखवाड़े में दिल्ली सरकार द्वारा लागू किया गया सम (इवेन)-विषम (ऑड) फॉर्मूला दिल्ली वालों को काफी पसंद आया है। लोग चाहते हैं कि नियमित समय के अंतराल पर दिल्ली में यह फॉर्मूला लागू हो। इतना ही नहीं इसमें सिर्फ कार वालों को ही नहीं, बल्कि दो पहिया वाहनों को भी शामिल किया जाए।
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पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत शनिवार को दिल्ली के अलग-अलग 12 विधानसभा क्षेत्रों में सम-विषम फॉर्मूले के संदर्भ में विधायकों ने बैठक कर सीधे जनता से राय ली। इसमें बड़ी तादाद में लोगों ने जल्द फॉर्मूले को दोबारा लागू करने पर सहमति जताई।
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वहीं, कुछ ने बच्चों की परीक्षा खत्म होने के बाद इसे लागू करने की गुजारिश की। इस दौरान कुछ लोगों ने सार्वजनिक परिवहन सेवा को दुरुस्त करने का सुझाव दिया। रविवार को भी दिल्ली के 13 अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में सम-विषम फॉर्मूले को लेकर विधायक जनता से सीधे राय लेंगे।
इसमें जनता से पांच सवाल पूछे जाएंगे। जनता से रायशुमारी के बाद दिल्ली सरकार फॉर्मूले को दोबारा लागू करने पर निर्णय लेंगी। परिवहन विभाग पहले ही कुछ नंबर जारी कर (9595-561-561) जनता से सुझाव ले रहा है। लोग इन नंबरों पर मिस्ड कॉल देकर इसे लागू करने या न करने के संबंध में अपनी राय दे सकते हैं।
आपको बता दें कि गत 25 जनवरी को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली में सम-विषम फॉर्मूले को दोबारा कब तथा किस तरह लागू किया जाए इसका फैसला दिल्ली के लोग करेंगे। वह कहेंगे तो सरकार सम-विषम फॉर्मूले को 14 फरवरी, एक मार्च, एक अप्रैल या फिर एक मई से लागू करेगी।
दिल्ली वालों से प्राप्त सुझावों के आधार पर आठ फरवरी के बाद बैठक कर सरकार तय करेगी कि इसे कब और कैसे लागू करना है। मालूम हो कि दिल्ली में प्रदूषण की समस्या कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने एक से 15 जनवरी तक सम-विषम फॉर्मूला लागू किया था।
योजना के अनुसार सम तारीख पर सम नंबर (0,2,4,6,8) की और विषम तारीख को विषम नंबर (1,3,5,7,9) की कारों को चलने की इजाजत दी गई थी। इस नियम को तोडऩे वालों पर दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था।

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