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    प्रेमी के संग रहती थी युवती, 7 साल बाद खुला 'अपहरण' का राज

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Sun, 13 Sep 2015 08:51 AM (IST)

    सात साल पहले मां-बाप ने युवती के अपहरण की रिपोर्ट लिखवाई थी। क्राइम ब्रांच ने डेढ़ दशक की जांच के बाद खुलासा किया तो सब लोग हैरान रह गए। यह युवती पति और दो बच्चों के साथ माता-पिता के घर से कुछ दूरी पर ही वर्षो से रह रही थी।

    नई दिल्ली। सात साल पहले मां-बाप ने युवती के अपहरण की रिपोर्ट लिखवाई थी। क्राइम ब्रांच ने डेढ़ दशक की जांच के बाद खुलासा किया तो सब लोग हैरान रह गए। यह युवती पति और दो बच्चों के साथ माता-पिता के पड़ोस (कुछ दूरी पर ही) में वर्षों से रह रही थी।

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    क्राइम ब्रांच ने जांच में पाया कि माता-पिता को इस बात की सारी जानकारी थी। इसके बावजूद वह अपनी बेटी को ढूंढने के लिए पुलिस पर दबाव डालते रहे। उन्हें बेटी व उसके पति के बारे भी पता था। इतना ही नहीं, मां-बाप को यह भी पता था कि वह नाना-नानी बन गए हैं।

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    गुमराह करते रहे

    संयुक्त पुलिस आयुक्त रविंद्र यादव ने बताया कि युवती के माता-पिता पुलिस को शुरू से ही गुमराह करते रहे। उन्होंने इस घटना के लिए स्थानीय स्कूल के प्रिंसिपल व अध्यापक को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन जांच के दौरान उनकी भूमिका सामने नहीं आई।

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    3 नवंबर, 2008 को मंगोलपुरी क्यू-ब्लॉक से युवती के अपहरण का फोन आया था। परिजनों ने पुलिस को बताया कि उनकी बच्ची सुबह स्कूल गई थी, इसके बाद वापस नहीं लौटी। परिजनों ने बेटी के अपहरण में स्कूल के प्रिंसिपल व अध्यापक की भूमिका बताई। परिजनों ने स्कूल में जाकर प्रिंसिपल व अन्य लोगों से मारपीट की।

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    अपहरण का मामला दर्जकर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। इस संदर्भ में मंगोलपुरी थाने में मुकदमा भी दर्ज किया गया। इस पर परिजनों ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष अर्जी दाखिल की। इसमें कहा गया कि पुलिस उनकी बेटी को ढ़ूंढ़ने के बजाय उन्हें प्रताड़ित कर रही है।

    यूं हुआ खुलासा

    पुलिस को सूचना मिली कि युवती मंगोलपुरी के एल-ब्लॉक में पति के साथ रह रही है। इसके बाद युवती को बरामद किया गया। पूछताछ के दौरान उसने बताया कि स्कूल में पढ़ाई के दौरान वह वर्ष 2008 में बैटरी रिक्शा चालक (पति) के संपर्क में आई थी।

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    दोनों में प्यार हो गया। उसने परिजनों को इस बारे में बताया, लेकिन वे शादी के खिलाफ थे। इसके बाद वह घर से भाग गई थी। वह मंगोलपुरी में ही माता-पिता के घर से करीब पांच किलोमीटर दूर पति के साथ रहने लगी। उसने माता-पिता को कुछ समय बाद सबकुछ बता दिया था।